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योग की भाषा में इन्हें क्रमशः इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना कहा जाता हैं। चन्द्रस्वर का संबंध मानसिक क्रियाकलाप के साथ है। सूर्यस्वर का संबंध शारीरिक क्रियाकलाप के साथ है। मध्यस्वर का संबंध आंतरिक ऊर्जा के साथ है। चन्द्रस्वर और सूर्यस्वर का संबंध मस्तिष्क के दोनों पटलों से है। चन्द्रस्वर चलता है, तब मस्तिष्क का दायां पटल (राइट हेमिस्फियर) सक्रिय होता है। सूर्य स्वर चलता है तब बायां पटल (लेफ्ट हेमिस्फियर) सक्रिय होता है।
मस्तिष्कीय क्रियाशीलता और श्वसन क्रिया
'हेलीफेक्स विश्वविद्यालय (कनाडा) के डलहौजी मनोविज्ञान विभाग में गोलार्डों की क्रियाशीलता के अध्ययन के साथ अनुसंधानकर्ताओं ने नाक के दोनों नथुनों से चलने वाले नेशन साइकिल जैसे कि बायीं या दायीं नाड़ी से चलने वाली श्वास-प्रश्वास का भी अध्ययन किया। दायें बायें नक्षत्रों के क्रम से चलने वाली श्वसन क्रिया और मस्तिष्कीय गोलार्डों में बारी-बारी वाली क्रियाशीलता का घनिष्ट संबंध पाया गया। जो दाहिने नथुने से श्वसन होता रहता है तो बायें गोलार्द्ध में ई. ई. जी. द्वारा अधिक क्रियाशीलता देखी जा सकती है। इसका उल्टा भी सही है अर्थात् बायीं नाड़ी से श्वसन क्रिया होते समय दाहिने गोलार्द्ध में अधिक क्रियाशीलता परिलक्षित हई।' (अखण्ड ज्योति मई १९८६) __ हमारा सारा क्रियाकलाप मस्तिष्क के द्वारा संचालित है। अंतःस्रावी ग्रन्थियों के स्राव उसका प्रभावी सहायक है और उसका प्रभावी सहायक है चेतना। चेतना, ग्रन्थितंत्र और मस्तिष्क एवं पृष्ठरज्जु का समन्वित अध्ययन और प्रयोग न करें तो स्वास्थ्य की समस्या का समाधान नहीं कर सकते। यह शरीर विज्ञान और मनोविज्ञान की सचाई है। इसके साथ अध्यात्म की सचाई को और जोड़ें तो कहा जाएगा-चेतना, नाड़ीतंत्र और ग्रन्थितंत्र के साथ प्राण का अध्ययन किये बिना हम स्वास्थ्य के रहस्यों को समग्रतः नहीं समझ पाएंगे और जीवनशैली को स्वास्थ्यप्रद भी नहीं बना पाएंगे।
जीवनशैली और स्वास्थ्य / ११६
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