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________________ २. शरीर ३. इन्द्रिय ४. श्वास ५. भाषा ६. मन ७. प्राण ८. चित्त ६. भाव इस नवांगी जीवन के पदार्थ को समझे बिना जीवनशैली के यथार्थ को समझा नहीं जा सकता। प्रवर और अवर जीवनशैली को प्रवर और अवर मानने का आधार यथार्थ है। शारीरिक स्वास्थ्य, ऐन्द्रिय स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और भावात्मक स्वास्थ्य को पोषण देने वाली जीवनशैली प्रवर है। जिस जीवनशैली से सर्वांगीण स्वास्थ्य की हानि होती है, वह जीवनशैली अच्छी नहीं है। व्याख्या का अग्रिम चरण यह है -जो जीवनशैली श्वास को दीर्घ और प्राण ऊर्जा की वृद्धि करती है, वह प्रवर है। जिससे श्वास छोटा और प्राण ऊर्जा क्षीण होती है, वह जीवनशैली अवर है। चित्त को प्रसन्न रखने वाली जीवनशैली प्रवर है तथा चेतना को अवसाद और विषाद की स्थिति में ले जाने वाली जीवनशैली अवर है। भाषा को हम मन से पृथक् नहीं कर सकते। मन की सारी गतिविधि भाषा के माध्यम से होती है। कर्मसंस्कार का आशय चित्त से जुड़ा हुआ है। वह हमारे बाहरी और भीतरी-दोनों व्यक्तित्वों का निर्धारक तत्त्व है। स्वास्थ्य का मूल आधार शरीरविज्ञान की दृष्टि से स्वास्थ्य का मौलिक आधार है नाड़ीतंत्र और ग्रन्थितंत्र। अध्यात्म की दृष्टि से स्वास्थ्य का मौलिक आधार है प्राणऊर्जा का संतुलन। प्राण के तीन मुख्य प्रवाह हैं • चन्द्रस्वर • सूर्य स्वर • मध्य स्वर। ११८ / विचार को बदलना सीखें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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