________________
किन्तु दूसरे के विचारों में भी सचाई खोजने का प्रयत्न करो।' यदि यह मार्ग उपलब्ध होता है, तो सह अस्तित्व की आधार भूमि निर्मित हो जाती है। हर व्यक्ति अपने विचारों को जैसे सत्य मानता है, दूसरों के विचारों को भी वैसे ही सत्य मानने लगे तो झगड़ा शान्त होगा, संघर्ष टल जायेगा ।
अनेकान्त ने एक सूत्र दिया - समन्वय करो । भिन्न-भिन्न विचारों और मान्यताओं में कितना समन्वय हो सकता है और समन्वय के किन-किन सूत्रों को खोजा जा सकता है, यह चिंतन की बात है ।
सापेक्षता
अनेकान्त का एक सूत्र है -- सापेक्षता । तुम्हारा जीवन सापेक्ष है। तुम निरपेक्ष नहीं हो । हर व्यक्ति दूसरों की अपेक्षा रखता है । एक आदमी रोटी खाता है । इसके पीछे कितनों का श्रम जुड़ा है । कोई बीज बोता है, कोई फसल तैयार करता है, कोई उसकी कटाई करता है, कोई उसके प्रतिफल को बाजार में लाता है, कोई उस अनाज की पिसाई करता है, कोई उसकी रोटी बनाता है, तब उसे कोई खाता है । कितने-कितने लोगों का श्रम जुड़ता है, तब कहीं रोटी आदमी के मुंह तक आती है । हमारा पूरा जीवन सापेक्ष है । बड़ा हो या छोटा, सापेक्षता से कोई अलग नहीं हो सकता । यदि आदमी निरपेक्ष होकर बैठ जाए तो उसके लिए जीना मुश्किल हो जायेगा । व्यक्ति की सभी आवश्यकताओं पर विचार करें तो हजारों का श्रम जुड़ता है, तब कहीं जाकर उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है । इतना सापेक्ष है जीवन । इस अवस्था में झूठा अहंकार कर व्यक्ति स्वयं को निरपेक्ष मानता है और यह निरपेक्ष दृष्टिकोण ही झंझट और कलह पैदा करता है ।
अनेकान्त की जीवनशैली एक विनम्र जीवनशैली है। उसमें सापेक्षता है, समन्वय है, सहअस्तित्व है । ये सारे सूत्र जहां काम करते हैं, वहां एक सार्थक जीवन होता है । यह सूत्र हमारे सामने जीवन की सार्थकता को प्रस्तुत करता है, जीवन को आनंदमय बना देता है ।
अनावश्यक हिंसा न करे
जीवनशैली का तीसरा सूत्र है - अहिंसा । न मारना अहिंसा है, किन्तु यह अहिंसा की समग्र परिभाषा नहीं है । अहिंसा की पृष्ठभूमि में दया, करुणा,
Jain Education International
जीवनशैली के नौ सूत्र / १०७
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org