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________________ जीवनशैली के नौ सूत्र इस दुनिया में सबसे ज्यादा मूल्यवान् है जीवन । और भी बहुत सारी वस्तुएं हैं, जिनका मूल्य है किन्तु तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो सबसे अधिक मूल्य है जीवन का। जीवन के होने पर सब कुछ है। जीवन न हो तो कुछ भी नहीं है। जिसके होने पर अन्य सबका अस्तित्व सामने आता है, उसका मूल्य कितना हो सकता है, इसको हर कोई समझ सकता है। जीवन का लक्ष्य व्यक्ति का सारा प्रभाव उसकी जीवनशैली पर निर्भर है। प्रश्न है-वह जीता कैसे है ? जीना एक बात है और कैसे जीना, बिल्कुल दूसरी बात है। यदि वह कलात्मक ढंग से जीता है तो जीवन बहुत सार्थक और सफल बन जाता है। यदि वह जीवन को जीना नहीं जानता, जीने की कला को नहीं जानता तो जीवन नीरस, बोझिल और निरर्थक जैसा प्रतीत होने लग जाता है। इसलिए आवश्यक है जीवनशैली का ज्ञान । वर्तमान की जीवन शैली अच्छी नहीं मानी जा रही है। इसके कई कारण हैं। भाग-दौड़, स्पर्धा, उतावली, हड़बड़ी आदि-आदि ऐसे तत्त्व जीवन में समा गये हैं, जो जीवन को सार्थक नहीं बना रहे हैं। शरीर स्वस्थ रहे, यह जीवन का एक लक्ष्य है। दूसरा लक्ष्य है-मन स्वस्थ रहे, प्रसन्न रहे। तीसरा लक्ष्य है-भावनाएं स्वस्थ रहें, निर्मल रहें। निषेधात्मक विचार न आएं, विधायकभाव निरंतर बने रहें, मैत्री और करुणा का विकास होता रहे। ये सब जीवन के उद्यान को हरा-भरा बनाने के लिए जरूरी हैं। समाधान है वीतरागता आज चारों ओर से एक स्वर सुनाई दे रहा है-वर्तमान की जीवनशैली अच्छी नहीं है, उसमें परिवर्तन होना चाहिए, वह बदलनी चाहिए। १०४ / विचार को बदलना सीखें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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