________________
के लिए महौषध, भावनात्मक परिवर्तन के लिए उपयोगी और धर्म की चेतना को जागृत करने वाले हैं। नवांगी जीवनशैली शरीर, श्वास, इन्द्रिय, प्राण, मन, भाव और चेतना का समन्वय है जीवन। जीवन की वही शैली अच्छी हो सकती है, जिसमें शरीर को स्वस्थ, श्वास को लयबद्ध, इन्द्रिय को कार्यक्षम, प्राण को गतिशील, मन को एकाग्र, भाव को विशुद्ध और चेतना को निरावरण बनने का अवसर मिले। जैन जीवनशैली के नौ सूत्रों का निर्धारण इसी पृष्ठभूमि पर किया गया है
१. सम्यक्-दर्शन २. अनेकान्त ३. अहिंसा ४. समण संस्कृति-सम, शम, श्रम ५. इच्छा परिमाण ६. सम्यक् आजीविका ७. सम्यक् संस्कार ८. आहार शुद्धि और व्यसन-मुक्ति ६. साधर्मिक वात्सल्य।
सम्यक् दर्शन
गृहस्थ का जीवन रागात्मक होता है। रागात्मकता को अवांछनीय भी नहीं माना जाता। उस पर वीतरागता का अंकुश नहीं हो, वह असंतुलित हो जाती है। संतुलन जैन जीवनशैली की मौलिक विशेषता है।
देव-गुरु और धर्म के प्रति आस्था सम्यक्-दर्शन है। सम्यक्-दर्शन के फलित हैं१. सम्यक दृष्टिकोण का विकास। २. विधायक दृष्टिकोण का विकास। ३. तीव्रतम क्रोध, मान, माया और लोभ का उपशमन! शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व विनम्रता, भाईचारा, मैत्री, ऋजुव्यवहार और
जीवन की शैली कैसी हो ? / ६७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org