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व्यवसाय शुद्धि-इनके विकास में बाधक बनता है मिथ्या दृष्टिकोण। सम्यक्-दर्शन की शैली का अनुगमन होते ही ये बाधाएं दूर हो जाती हैं, जीवन आलोक से भर जाता है। अनेकान्त सामुदायिक जीवन जीने के लिए जरूरी है सापेक्षता, समन्वय और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व।
जीवन सापेक्ष है इसलिए अपने विचार को मूल्य देते हुए भी हम दूसरे के विचार को समझने का प्रयत्न करें। वही व्यक्ति स्वस्थ सामाजिक जीवन जी सकता है, जो सापेक्षता और अनाग्रह का प्रयोग करता है। ___ मैं जो सोचता हूं, उसमें सत्यांश है। दूसरा सोचता है, उसमें सत्यांश नहीं है, यह कैसे माना जा सकता है ? वही व्यक्ति आपसी संबंधों को मधुर बना सकता है, जो अपने और दूसरों के विचारों में समन्वय साध सकता है। ___ सापेक्ष और समन्वय के दृष्टिकोण का विकास ही शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का आधार है।
पक्षपात और मिथ्या आग्रह, जीवन को नीरस, कुंठित और विषादपूर्ण बनाते हैं। अनेकांती जीवनशैली में दृष्टिकोण विनम्र होता है। उससे विवाद अथवा झगड़े के प्रसंग अपने आप कम हो जाते हैं। पारिवारिक
और सामाजिक जीवन में सरसता, प्रसन्नता और मधुरता विकसित हो जाती है।
मानवीय संबंधों में सुधार की अपेक्षा सारे विश्व में अनुभव की जा रही है। सापेक्षता की अनुभूति के बिना वह संभव नहीं है।
अनेकांत की शैली को जीने के फलित हैं१. सापेक्ष दृष्टिकोण का विकास। २. समन्वय की मनोवृत्ति का विकास।
३. विवादास्पद प्रसंग में सामंजस्य स्थापित करने वाली मनोवृत्ति का विकास।
४. अनाग्रह और विनम्रतापूर्ण मनोवृत्ति का विकास।
६८ / विचार को बदलना सीखें
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