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कम करने में बहुत लाभ है। किन्तु दवा के द्वारा कोलेस्ट्रोल कम करने का प्रयत्न किसी ‘साइड इफेक्ट' को जन्म दे सकता है। उसके सेवन से आप किसी पारिपार्श्विक बीमारी के शिकार हो सकते हैं किन्तु विडंबना यही है कि मुफ्त वाली बात लोगों को पसंद नहीं आती। पसंद आती है वह बात, जिसमें अच्छी-खासी रकम खर्च हो रही हो। तेज दवाओं के प्रयोग से बचें लुधियाना की घटना है। वहां सी. एम. सी. नाम का एक बड़ा अस्पताल है। उस अस्पताल के एक वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. मुखर्जी मिले। बातचीत के प्रसंग में डॉ. मुखर्जी ने बताया-'हमारे पास कई तरह के मरीज आते हैं। मेरा उन्हें अधिक दवा देने में विश्वास नहीं है। सामान्यतः उन्हें एक या दो दवा लिख देता हूं। लोग सोचते हैं-डॉक्टर साहब ने ठीक से प्रेसक्रिप्शन नहीं लिखा। इतनी-सी दवा से कैसे ठीक होंगे ? फलतः वह मरीज उस पर्चे को लेकर दूसरे डॉक्टर के पास जाता है। वह डॉक्टर एक पन्ने में जब आठ-दस तरह की दवाइयां लिख देता है, जिनकी कीमत चार-पांच सौ तक की होती है तो वह संतुष्ट हो जाता है, वह सोचता है, इन डॉक्टर साहब ने मेरा मर्ज ठीक पहचाना है। यह एक मानसिकता बन गयी कि ज्यादा दवाइयां लेने से स्वास्थ्य जल्दी उपलब्ध हो सकेगा। इस मानसिकता को तोड़े बिना हृदयरोग का उपचार कैसे हो सकता है ? शरीर की अन्य व्याधियों के लिए ली जा रही दवाइयों में प्रायः ऐसी होती हैं, जो हृदय को क्षति पहुंचाने वाली होती हैं। ज्यादा तेज दवाइयों का प्रयोग हृदय को दुर्बल बनाता है।
संदर्भ प्रेक्षाध्यान का इस सारी समस्या पर प्रेक्षाध्यान की दृष्टि से विचार करें। जो व्यक्ति दीर्घ श्वास का नियमित प्रयोग करता है, उसके हृदयरोग की संभावना अत्यन्त क्षीण हो जाती है। श्वासप्रेक्षा के दो प्रयोग हैं-दीर्घश्वासप्रेक्षा और समवृत्ति श्वासप्रेक्षा। इसका एक तीसरा प्रयोग है-उज्जायी प्राणायाम। यह भी हृदयरोग की सबसे अच्छी दवा है। जो व्यक्ति उज्जायी प्राणायाम करता है, वह हृदय की रक्तसंचार प्रणाली को स्वस्थ बना लेता है। हृदयरोग के
हृदय रोग : कारण और निवारण / ६३
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