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संदर्भ में इन प्रयोगों के बड़े सुन्दर परिणाम आए हैं।
जप का प्रयोग भी बहुत लाभकारी है । जो व्यक्ति ह्रीं का जप करता है, वह बहुत हद तक इस बीमारी से अपने को बचा लेता है
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सादा जीवन : उच्च विचार
जो व्यक्ति धर्म के अनुसार अपनी जीवनशैली का निर्माण नहीं करता, उसकी जीवनशैली बीमारियों को निमंत्रण देने वाली होती है । वर्तमान की जीवनशैली को बीमारियों को बुलावा देने वाली जीवनशैली है । इतनी भागदौड़, व्यस्तता, निरंतर मानसिक तनाव, चिंता, भय और लोभ की भावना से घिरा आदमी हृदयरोग जैसी बीमारी से अछूता कैसे रह सकता है ? सादा जीवन और उच्च विचार जहां है, वहां हृदयरोग क्यों आयेगा ? आखिर बुरा बुरे से ही तो जाकर मिलता है । हृदयरोग एक बुराई है। वह सादा जीवन जैसी भलाई के पास क्यों जायेगा ?
स्वास्थ्य का सूत्र है स्वस्थ जीवनशैली
इन वर्षों में प्रेक्षाध्यान साधना को प्रसार देने वाले अनेक केन्द्र विकसित हुए हैं, उनमें एक प्रमुख केन्द्र है - अध्यात्म साधना केन्द्र, दिल्ली । अध्यात्म साधना केन्द्र में प्रेक्षाध्यान शिविरों के साथ-साथ सूर्य किरण चिकित्सा के शिविर भी आयोजित होते हैं । वर्तमान में इस केन्द्र के निदेशक श्री धर्मानन्द एवं डॉ. विमल छाजेड़ 'प्रेक्षाध्यान और हृदयरोग ' तथा 'प्रेक्षाध्यान और अस्थमा' - इन दो विषयों पर परीक्षण कर रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली द्वारा स्वीकृत इन प्रोजेक्टों के बहुत उत्साहवर्द्धक परिणाम सामने आए हैं । विश्वास के साथ यह घोषणा की जा रही है - यदि व्यक्ति प्रेक्षाध्यान का प्रयोग करे, श्वासप्रेक्षा और कायोत्सर्ग का निरंतर अभ्यास करे, अपने खानपान को सात्विक बनाए, जीवनशैली को व्यवस्थित बनाए तो हृदयरोग की संभावनाओं को मिटाया जा सकता है, हार्ट अटैक, बाईपास सर्जरी जैसी अवांछनीय घटनाओं से बचा जा सकता है । अध्यात्म साधना केन्द्र में निरंतर साधना करने वाले श्री सूरी का कथन है- मैं हार्ट का मरीज था । मैने प्रेक्षा के प्रयोग किये, कायोत्सर्ग का अभ्यास किया और आज स्थिति यह है कि मुझे कभी अनुभव भी नहीं होता कि मैं हार्ट की बीमारी
६४ / विचार को बदलना सीखें
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