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________________ वाले रोगों पर ध्यान दें तो कुछ नया प्रकाश मिलेगा। आज संदर्भ है-हृदयरोग का। धर्म के संदर्भ में, अहिंसा, संयम और तपस्या के संदर्भ में इसकी मीमांसा करनी है। क्या हृदयरोग पर धर्म का कोई प्रभाव होता है ? प्रेक्षाध्यान का कोई प्रभाव होता है ? क्यों होता है हृदय रोग ? केलिफोर्निया, अमेरिका के एक प्रोफेसर डॉ. आर्निश ने हृदयरोग पर लंबे समय तक खोजें कीं। खोज के बाद उनके जो निष्कर्ष प्रकाशित हुए हैं, वे धर्म की व्याख्या करने वाले हैं। उन्होंने अपने निष्कर्ष में लिखा है- 'हृदय की बीमारी का मुख्य कारण है कोलेस्ट्रोल या वसा का जमाव। रक्त में चर्बी की मात्रा बढ़ जाने पर रक्तवाहिनियों का रास्ता जाम हो जाता है। इससे हृदयशूल, हृदयाघात या हार्ट अटैक होता है। यदि मनुष्य कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम कर सके, वसा की मात्रा को कम कर सके, उसकी धुलाई-सफाई कर सके, रक्तवाहिनी के रास्तों को क्लियर रख सके तो हृदयरोग की कोई संभावना नहीं रहती, हृदयरोग की चिकित्सा बहुत वर्षों तक दवाइयों पर निर्भर रही। अब एक तरीका नया निकला है-बाईपास सर्जरी का। जब धमनियां सिकुड़ जाती हैं, ब्लाक्ड हो जाती हैं, तब बाईपास शल्यक्रिया से उन्हें सुचारु बनाया जाता है। संतुलित पद्धति डॉ. आर्निश ने बताया-बाईपास से रक्त-संचार की प्रणाली तो ठीक हो जाती है, किन्तु पहले से जो जमा हुआ कचरा है, उसका परिष्कार नहीं हो पाता, उसकी सफाई नहीं हो पाती। वह गंदगी बनी की बनी रहती है। इसलिए सफाई बहुत जरूरी है, जो मैल जमा हुआ है, उसे साफ करना नितान्त आवश्यक है। इस कचरे को साफ नहीं किया जाए तो कोरी बाईपास सर्जरी कारगर नहीं हो पाती। वह एक बार कुछ राहत भले ही दे दे, किन्तु यह समस्या का स्थायी उपाय नहीं है। इस जमा मैल की सफाई के लिए डॉ. आर्निश ने जिस पद्धति का विकास किया, वह एक संतुलित पद्धति है। उसमें उन्होंने चार बातों पर विशेष रूप से ध्यान दिया १. व्यायाम हृदय रोग : कारण और निवारण / ८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003130
Book TitleVichar ko Badalna Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2005
Total Pages194
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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