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१९४ / जैनतत्त्वविद्या
२२. बन्ध के दो प्रकार हैं
१. ईर्यापथिक - वीतराग के होने वाला बन्ध
२. साम्परायिक - सराग के होने वाला बन्ध २३. संहनन के छह प्रकार हैं१. वज्रऋषभनाराच
४. अर्ध नाराच २. ऋषभनाराच
५. कीलिका ३. नाराच
६. सेवार्त २४. संस्थान के सात प्रकार हैं१. समचतुरस्र
४. कुब्ज २. न्यग्रोधपरिमंडल
५. वामन ३. सादि
६. हुण्डक २५. समुद्घात के सात प्रकार हैं१. वेदना
५. तैजस २. कषाय
६. आहारक ३. मारणान्तिक
७. केवली ४. वैक्रिय
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