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________________ हैं, इसका यह अर्थ नहीं कि आप उसके साथ निर्दयतापूर्ण व्यवहार करें, उससे अतिश्रम लें। मानवीय संवेदना और अहिंसा के आधार पर आपको इससे बचना चाहिए। ___ मैं मानता हूं कि बुराइयां समय-समय पर अपना स्वरूप बदलती हैं। अतीत की बहुत-सारी बुराइयां आज देखने को नहीं मिलतीं । पर उनका स्थान दूसरी-दूसरी बुराइयों ने ले लिया है। कुछ बुराइयां, जो पहले बहुत कम देखने-सुनने को मिलती थीं, वे आज बहुत व्यापक बन गई हैं । बीस-तीस वर्षों पूर्व तक ब्लैक की बुराई नहीं के बराबर थी, पर आज वह चारों ओर अपने पांव पसार रही है। इसलिए अणुव्रत-आंदोलन शाश्वत बुराइयों के साथ-साथ सामयिक/युगीन बुराइयों पर भी प्रहार करता है। एक अणुव्रती की जीवनचर्या अणुव्रत-भावना के प्रतिकुल न हो, इस चिंतन के आधार पर उसकी आचार-संहिता में अहिंसा, सत्य आदि तत्वों से संबंधित नियमों के साथ-साथ चर्या की दृष्टि से भी कुछ नियम रखे गए हैं। एक अणवती बनने वाला व्यक्ति मांस-भक्षण नहीं करेगा। उसका खाद्य तामसिक तो होगा ही नहीं, सात्विक में भी अनियंत्रित नहीं होगा। वह अपने खाने-पीने के दैनिक पदार्थों का सीमाकरण करेगा। मर्यादा से अधिक संग्रह नहीं करेगा। ___ अणुव्रत की यह आचार-संहिता स्वस्थ समाज-निर्माण की दिशा में एक सशक्त अभियान है। यह अभियान जितने व्यापक स्तर पर फैलाव करेगा, राष्ट्र की चारित्रिक और नैतिक भित्ति उतनी ही सुदृढ बनेगी। ख्याल रहे, उन्नत राष्ट्र का मौलिक आधार चारित्रिक एवं नैतिक बल ही है। २१२ मानवता मुराकार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003128
Book TitleManavta Muskaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages268
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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