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________________ जैन दर्शन और विज्ञान में परमाणु ३३१ सन् १८२७ में पौली (Pauli) नामक वैज्ञानिक ने बीटा कणों के उत्सर्जन के सम्बन्ध में अपनी परिकल्पना प्रस्तुत की। उसने कहा कि बीटा कणों के साथ-साथ अन्य कणों का भी उत्सर्जन होता है, जिन्हें 'न्यूट्रीनों' के नाम से जाना जाता है। जब प्रोट्रॉन न्यूट्रॉन में परिवर्तित होता है, तब धनात्मक बीटा कणों के साथ न्यूट्रीनो उत्पन्न होता है और जब न्यूट्रॉन प्रोटोन में परिवर्तित होता है, तब प्रति - न्यूट्रीनों उत्पन्न होता है । न्यूट्रीनों इतने सूक्ष्म परिमाण के होते हैं कि वे दूसरे कणों से प्रभावित नहीं होते हैं । वे विद्युत् आवेश - रहित तथा संहति - रहित ( massless ) होते हैं; लेकिन उनमें एक निश्चित ऊर्जा होती है । क्वाण्टम सिद्धान्त (Quantum Theory ) भारी नाभिकों से निकलने वाली गामा किरणें अधिक ऊर्जा सम्पन्न विद्युत् चुम्बकीय तरंगें होती हैं । पाया गया है कि सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगों की ऊर्जा का वितरण नियमित नहीं होता है, बल्कि अनियमित होता है। इसकी व्याख्या मैक्स प्लैंक नामक वैज्ञानिक ने क्वाण्टम सिद्धांत की सहायता से की। इसके अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान तक विद्युत् चुम्बकीय तरंगों की ऊर्जा का स्थानांतरण क्वाण्टम के रूप में होता है । क्वाण्टम ऊर्जा की छोटी-से-छोटी इकाई है। फोटॉन विद्युत् चुम्बकीय ऊर्जा के क्वाण्टम का संवाहक (वाहन के समान) है। फोटॉन का एक निश्चित् संवेग होता है; लेकिन उसमें न तो संहति होती है और न ही विद्युत् आवेश । फोटॉन की ऊर्जा E=hv से प्रदर्शित की जाती है जहां h प्लैंक का नियतांक है। V विद्युत् चुम्बकीय तरंगों की आवृत्ति (फ्रिक्वेंसी) है। I फोटॉन की तरह ही 'फोनोन' यांत्रिकीय तरंगों की ऊर्जा का वाहक है । इस प्रकार ऊर्जा पदार्थ का ही दूसरा रूप है। वैसे भी आइन्स्टीन के ऊर्जा - द्रव्यमान सम्बन्ध के सिद्धांत से ऊर्जा तथा द्रव्यमान एक ही वस्तु / पदार्थ के दो पहलू हैं । प्रारम्भिक कण (Elementary Particles ) अब हम एटम से सम्बन्धित सभी प्रारम्भिक (मौलिक) कणों की सूची बना सकते हैं। इन कणों को हम इस प्रकार से वर्गीकृत कर सकते हैं: - १. इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन । २. न्यूट्रीनो, बीटा कण तथा पोजीट्रॉन । १. देखें, पृ० ३१८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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