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जैन दर्शन और विज्ञान गति स्थानांतर के रूप में या कंपन के रूप में हो सकती है। भगवती सूत्र में गति के कुछ प्रकारों की चर्चा की गई है। गति स्वाभाविक भी हो सकती है, बाह्य निमित्त या बल के प्रभाव से भी हो सकती है। गति प्रकम्पनात्मक भी हो सकती है और चक्रात्मक भी हो सकती है, या दोनों एक साथ भी हो सकती है। परमाणु की गति के सन्दर्भ में इसकी विस्तार से चर्चा की जाएगी। (६) पुद्गल गलन-मिलन-धर्मा है
छह द्रव्यों में केवल पुद्गल ही एक ऐसा द्रव्य है, जो गलन-मिलन-धर्मा है। एक पुद्गल दूसरे पुद्गल के साथ मिलकर नए पुद्गल का निर्माण कर सकता है; इसे पूरण (fusion) कहा जाता है तथा एक पुद्गल-स्कंध टूट कर या विघटित होकर अन्य पुद्गल-स्कंधों में बदल सकता है। विघटन की इस क्रिया को गलन (fission) कहा जाता है। 'बन्ध' और 'भेद' जिनकी चर्चा ऊपर की गई है क्रमश: पूरण और गलन धर्म का ही परिणाम है। बन्ध या भेद की प्रक्रिया ही पुद्गल की शक्ति या ऊर्जा की उत्पत्ति में निमित्त बनती है।
आधुनिक विज्ञान में अणुबम और हाइड्रोजन बम क्रमश: फिशन और फ्यूजन की प्रक्रियाओं द्वारा जनित आणविक ऊर्जा द्वारा निर्मित होते हैं। जैन दर्शन के द्वारा प्रतिपादित पुद्गल के गलन-मिलन धर्मों के ये स्पष्ट उदाहरण हैं। अणुबम के निर्माण के लिए यूरेनियम-२३५ नामक धातु के अणु का विखंडन किया जाता है। जब यह प्रक्रिया घटित होती है, तो ऊर्जा का विमोचन होता है जिसकी मात्रा अत्यधिक है। हाइड्रोजन बम के निर्माण में हाइड्रोजन के अणुओं का संघटन किया जाता है जिसके परिणाम स्परूप अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा का विमोचन होता है। सामान्य जीवन में कोयले को जलाकर ताप प्राप्त करने की प्रक्रिया में भी कोयले के कार्बन-अणु हवा के आक्सीजन-अणु के साथ संयोजित होते हैं और साथ ही ऊर्जा का विमोचन होता है जो ताप या प्रकाश के रूप में होती है।
यह स्पष्ट होता है कि जैन दर्शन और विज्ञान दोनों एक ही तथ्य का निरूपण करते हैं-दृश्य जगत् में पुद्गल का समस्त रूपांतरण उसके गलन-मिलन धर्म के कारण ही हो रहा है। यह गलन-मिलन की प्रक्रिया स्वाभाविक या प्रयोग-जन्य दोनों रूप में संभव है। एक पौद्गलिक स्कंध जो परमाणुओं के संयोग से निर्मित है दूसरे पौद्गलिक स्कंध के रूप में परिवर्तित हो सकता है। यहां तक कि जिसे विज्ञान ने मौलिक तत्त्व (element) माना है, वे भी एक-दूसरे में परिवर्तित हो सकते हैं या किए जा सकते हैं। जैसे-रेडियो-क्रिया के परिणाम स्वरूप यूरेनियम (जो एक मौलिक तत्त्व है) स्वत: सीसे के रूप में परिवर्तित हो जाता है। कृत्रिम प्रयोगों द्वारा पारे को
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