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विश्व का परिमाण और आयु
अभ्यास १. जैन दर्शन के अनुसार विश्व के आकार और परिमाण की चर्चा करें। २. जैन दर्शन के काल-चक्रीय सिद्धांत को विस्तार से समझाइए। ३. आपेक्षिकता के सिद्धांत से पूर्व और पश्चात् कालीन वैज्ञानिकों द्वारा विश्व
के परिमाण को किस प्रकार समझाया गया ? ४. विस्तारमान विश्व का वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत करें। ५. वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत विश्व की आदि और अन्त' सम्बन्धी सिद्धांतों को
समझाते हुए उनके वैज्ञानिक आधारों को स्पष्ट करें। ६. जैन दर्शन के विश्व के परिमाण-सम्बन्धी विचारों की आइन्स्टीन के
एतद्विषयक विचारों के साथ तुलना करें। ७. सादि सान्त विश्व-सिद्धांतों का जैन दर्शन के आधार पर खंडन करें। ८. जैन दर्शन और विज्ञान के 'अनादि-अनन्त विश्व-सिद्धांतों' की तुलना
करें।
९. जैन दर्शन के कालचक्रीय सिद्धांत का वैज्ञानिक आधारों पर मूल्यांकन करें।
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