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जैन दर्शन और विज्ञान वाले यह रोग मांस खाने वाले के शरीर में प्रवेश कर पाता है।'
यह तो सर्वविदित ही है कि हत्या से पहले पशु, पक्षी मछलियों आदि के स्वास्थ्य की पूरी जांच नही की जाती और उनके शरीर में छुपी हुई बीमारियों का पता नहीं लगाया जाता। अण्डे, पशु, पक्षी, मछलियां भी कैंसर टयूमर आदि अनेक रोगों से ग्रस्त होते हैं और उनके मांस के सेवन से वे रोग मनुष्य में प्रवेश कर जाते
४. अकेले अमरीका में ४०००० से अधिक केस प्रतिवर्ष ऐसे आते है जो रोग-ग्रस्त अण्डे व मांस खाने से होते हैं। ५. हैल्थ एजूकेशन काउंसिल के अनुसार विषाक्त भोजन (Food Poisoning) से होने वाली 90 प्रतिशत मौतों का कारण मांसाहार है। ६. जब पशु बूचड़खाने में कसाई के द्वारा अपनी मौत को पास आते देखता हे तो वह डर, दहशत से कांप उठता है। मृत्यु को समीप भांपकर वह एक-दो दिन पहले से ही खाना-पीना छोड़ देता है। डर व घबराहट में उसका कुछ मल बाहर निकल जाता है। मल जब खून में जाता है तो जहरीला व नुकसानदायक बन जाता है। मांस में रक्त, वीर्य, मूत्र, मल आदि अन्य कितनी ही चीजों का अंश होता है। मौत से पूर्व नि:सहाय पशु आत्मरक्षा के लिये पुरुषार्थ करता है, छटपटाता है। पुरुषार्थ बेकार होने पर उसका डर, आवेश बढ़ जाता है, गुस्से से आंखें लाल हो जाती हैं, मह में झाग आ जाते हैं। ऐसी अवस्था में उसके अन्दर एक पदार्थ एड्रीनालिन (Adrenalin) उत्पन्न होता है जो उसके रक्त-चाप को बढ़ा देता है व उसके मांस को जहरीला बना देता है। जब मनुष्य वह मांस खाता है तो उसमें भी एड्रीनालीन प्रवेश कर उसे घातक रोगों की ओर धकेल देता है। एड्रीनालिन के साथ जब क्लोरिनेटेड हाइड्रोकार्बन लिया जाता है तब तो यह हार्ट-अटैक का गंभीरतम खतरा उत्पन्न कर देता है। ७. मछली, अण्डे आदि को (प्रिजर्व करने) ठीक रखने के लिए बोरिक एसिड व विभिन्न बोरेट्स का प्रयोग होता है, ये कम्पाउण्ड Cerebral Tissues में एकत्र होकर गंभीर खतरा उत्पन्न कर देते हैं।
बूचड़खानों से प्राप्त मांस कितना हानिकारक, दूषित, गंदा व रोग-ग्रस्त होता है इसका अनुमान इससे ही लगा सकते है कि यूरोप के अत्याधुनिक, नवीन उपकरणों १. वही
२. वही
3. Food for a future, Published by Akhil Bhartiya Hinsa Nivaran Sangh,
Ahemdabad. ४. Hindustan Times, New Delhi, 1.10.86
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