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जैन दर्शन और विज्ञान अनेक प्रकार से हानिप्रद है । शाकाहार में तंतुमय पदार्थ अधिक होते हैं। उनसे पेट को साफ रखने में मदद मिलती है । शरीर के विषाक्त पदार्थ उनके सहारे से बाहर निकल आते हैं। जब भी आहार में तंतुमय पदार्थों की कमी होती है, बड़ी आंत का कैंसर तथा दूसरी बीमारियां होने की शक्यता है ।
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मांसाहार हमारे लिए कितना घातक व असाध्य रोगों को निमंत्रण देने वाला है इस पर ठोस निष्कर्ष बड़े-बड़े डाक्टरों, वैज्ञानिकों आदि ने निकाले हैं स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क, बफैलों में की गई शोध से यह प्रकाश में आया कि अमरीका में ४७००० से भी अधिक बच्चे हर वर्ष ऐसे जन्म लेते हैं जिन्हें माता-पिता के मांसाहारी होने के कारण कई बीमारियां जन्म से ही लगी होती हैं और ये बच्चे बड़े होने पर भी पूर्णतः स्वस्थ नहीं हो पाते । '
हृदय रोग व उच्च रक्तचाप
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रक्त- वाहनियों की भीतरी दीवारों पर कोलेस्टेरोल की तहों का जमना इसका मुख्य कारण है । १९८५ के नोबेल पुरस्कार विजेता अमरीकी डा. माइकल एस. ब्राउन व डॉ. जोसेफ एल. गोल्डस्टीन ने यह प्रमाणित किया है कि हृदय रोग से बचाव के लिए कोलेस्टेरोल नामक तत्त्व को जमने से रोकना अति आवश्यक है, यह तत्त्व वनस्पति में नहीं के बराबर होता है । अण्डों में सबसे अधिक व मांस, अण्डों व जानवरों से प्राप्त वसा में काफी मात्रा में होता है । १०० ग्राम अण्डा प्रतिदिन लेने का अर्थ जरूरत से ढाई गुना अधिक कोलेस्टेरोल लेना है । जो व्यक्ति मांस या अण्डे खाते हैं उनके शरीर में 'रिस्पटरों' की संख्या में कमी हो जाती है जिससे रक्त के अन्दर कोलेस्टेरोल की मात्रा अधिक हो जाती है। इससे हृदय रोग गुर्दे के रोग एवं पथरी जैसी बीमारियां को बढ़ावा मिलता है। इससे आंतों, स्तनों तथा गर्भाशय के रोग होने की संभावना अधिक रहती है ।
ब्रिटेन के डा. एम. रॉक ने एक सर्वेक्षण अभियान के बाद यह प्रतिपादित किया कि " शाकाहारियों में संक्रामक और घातक बीमारियां मांसाहारियों की अपेक्षा कम पाई जाती हैं। वे मांसाहारियों की अपेक्षा अधिक स्वस्थ, छरहरे बदन, शांत प्रकृति और चिन्तनशील होते हैं।"
बी. बी. सी. के टेलीविजन विभाग द्वारा शाकाहार पर एक साप्ताहिक कार्यक्रम द्वारा मांसाहारियों को स्पष्ट चेतावनी दी जाती रही है कि इससे आपको घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
पश्चिमी देशों में जहां मांसाहार का प्रचलन अधिक है वहां दिल का दौरा,
१. अहिंसा संदेश, जून, ८९ रांची
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