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________________ १०२ जैन दर्शन और विज्ञान पूर्व जन्म की अद्भुत बातें अढाई, तीन या पांच साल के बच्चे, जो पूर्व-जन्म की स्मृति के आधार पर बातें बताते हैं, उनमें बहुत-सी बातें काफी अद्भुत और आश्चर्यकारक होती है। सामान्यतया ऐसे बच्चे अपने पूर्व-जन्म का नाम, गांव का नाम, माता-पिता या निकट पारिवारिक लोगों के नाम, अपने निवास-स्थान संबंधी जानकारी आदि देते ही हैं। पर उसके साथ-साथ ऐसी गुप्त बातों का भी वे रहस्योद्घाटन करते हैं, जिसके विषय में उस मृतात्मा के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को कुछ भी ज्ञात नहीं होता। जैसे-एक घटना में बालक (बिशनचंद) ने अपने पूर्व-जन्म में पिता की ऐसी छिपी सम्पत्ति का पता बताया जिसके विषय में किसी को पता ही नहीं था। कुछ घटनाओं में ऐसी बातें भी बालक द्वारा बता दी जाती हैं, जिनकी जानकारी केवल एक ही अन्य व्यक्ति को होती हैं। जैसे अलास्का में घटित एक घटना में अपने पूर्व जन्म में उसने पुत्रवधु को एक घड़ी दी थी जिसके विषय में और किसी को पता नहीं था। वर्तमान जन्म में उस घड़ी को बालक ने पहिचान लिया। पूर्व-जन्म की स्मृति वाले व्यक्तियों में सामान्यतया असामान्य व्यवहार पाया जाता है। ऐसे अधिकांश व्यक्ति वर्तमान जन्म के वातावरण, और पैत्रिक गुण-धर्मों के विपरीत वृत्तियों का प्रदर्शन करते हैं। जैसे-पूर्व-जन्म में धनसम्पन्न वर्तमपान में गरीब होने पर धनसम्पन्न व्यक्तियों की तरह व्यवहार करता है। पूर्व-जन्म में मांसाहारी वर्तमान जन्म में निरामिष परिवार में जन्म लेने पर भी मांसाहर की रूचि रखता है। धार्मिकता की पूर्व-जन्म की वृत्ति प्राय: वर्तमान जन्म में भी असाधारण रूप से प्रकट होती हुई दिखाई देती हैं। शौकीनता और रुचि की विलक्षणता भी सामान्य रूप से वर्तमान जीवन में देखी जाती है। इन सब असामान्य व्यवहारों का सामान्य एवं ज्ञात तत्त्वों के आधार पर व्याख्यात्मक विश्लेषण नहीं किया जा सकता। कभी-कभी भारत जैसे देश में जहां जातिवाद का प्रबल प्रभाव है, बालक द्वारा अपनी पूर्व-जन्म की जाति के संस्कार एवं तदनुरूप व्यवहार व आचरण प्रस्तुत होता हुआ दिखाई देता है। जैसे-जसवीर नामक एक बालक जो वर्तमान जीवन में “जाट" है, अपने को पूर्व-जन्म में ब्राह्मण बताता है और ब्राह्मण की तरह खाने-पीने, शुद्धि आदि के लिए आग्रह रखता है। यहां तक कि अपने जाट माता-पिता के हाथों बनाया हुआ खाना खाने से भी वह इन्कार करने लगा। कुछ बालकों में बचपन से ही ऐसे कला-कौशल, शैक्षिक ज्ञान एवं भाषा-ज्ञान पाये जाते हैं, जो स्पष्टतया उनके पूर्व-जन्म में अर्जित गुणों के साथ सम्बन्धित होते हैं। बिशनचंद की घटना में तबला बजाने की निपुणता तथा उर्दू का ज्ञान इसी बात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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