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८२ अप्पाणं सरणं गच्छामि
का भय उतना नहीं है जितना भय राज्य-तंत्र का है। राज्य का इतना नियंत्रण है कि व्यक्ति सर्वथा परतन्त्र है। आज का आदमी सोता है तो भय को सिरहाने लेकर सोता है और उठता है तो भय की चप्पल पहनकर ही पैर आगे रखता है। उसका कोई भी क्षण ऐसा नहीं जाता जो भयमुक्त हो। जिन लोगों ने अपने आपको ज्यादा सुखी बनाने का प्रयत्न किया और कर रहे हैं उन्होंने तो ऐसा मान लिया कि मानो जीने का अर्थ है-भय और भय का अर्थ है-जीना। वे भय और जीवन को दो नहीं मानते। यह द्विवचन नहीं, एकवचन बन गया।
एक विद्यार्थी से पूछा गया-'पाजामा एकवचन है या बहुवचन?' उसने कहा--'ऊपर से एकवचन और नीचे से बहुवचन।' ____ आज पूछा जाए-'भय और जीवन एक है या दो?' उत्तर होगा-ऊपर से एक और नीचे से दो।
___ भय को जीवन से अलग नहीं किया जा सकता। यदि भय को अलग नहीं किया जा सकता तो आदमी समस्या से मुक्त जीवन नहीं जी सकता। भय का इतना बड़ा तनाव है कि जीवन की सारी व्यवस्थाएं गड़बड़ा जाती हैं। इसके कारण नाड़ी-संस्थान, तंत्रिका तंत्र और समूचा शरीर-तंत्र अव्यवस्थित हो जाता है। शरीर के रसायन और विद्युत्-प्रवाह बदल जाता है। इस स्थिति में आदमी सुख से कैसे जी सकता है? उसे भयमुक्त जीवन जीने का अवसर ही उपलब्ध नहीं होता। सुखी जीवन का एकमात्र उपाय है-समाधि। समाधि सबके लिए
प्राचीन काल में समाधि की खोज योगियों ने की। यह माना जाता रहा है कि समाधि योगियों और संन्यासियों के लिए है, गृहस्थों के लिए नहीं है। किन्तु आज हर व्यक्ति जो जीता है, प्राण-धारण करता है, उसके लिए समाधि
और ध्यान की अत्यन्त आवश्यकता है। आज प्रत्येक व्यति को योगी बनना जरूरी है। जो गृहस्थ योगी नहीं बनेगा, ध्यान और योग का अभ्यास नहीं करेगा वह पूरा जीवन नहीं जी सकेगा। उसे अकाल-मृत्यु का सामना करना पड़ेगा। अस्सी वर्ष जीने वाला पचास वर्ष में ही काल-कवलित हो जाएगा। आज समाधि की आवश्यकता सबके लिए है।
हम समाधि का जो प्रयत्न कर रहे हैं, वह सबको संन्यासी, जंगलवासी या योगी बनने के लिए नहीं कर रहे हैं। हम सबको घर छुड़वाना नहीं चाहते। हम इस सिद्धान्त के साथ यह प्रयत्न कर रहे हैं कि हर गृहस्थ योगी का जीवन भी जीये, हर घरवासी ध्यानी और समाधि का जीवन भी जीये।। _प्रश्न होता है-समाधि क्या है? समस्या क्या है? संवर समाधि है और आश्रव समस्या है। जिससे दुःख आता है, समस्याएं आती हैं, वह दरवाजा है-आश्रय। दरवाजे को बन्द कर देने पर न दुःख आता है और न समस्याएं
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