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________________ १०. समाधि की खोज : समस्या का जीवन प्रश्न-‘मकान क्यों?' उत्तर बहुत सीधा है। दुनिया में धूप है, इसलिए मकान बनाने की आवश्यकता हुई। यदि धूप, सर्दी-गर्मी और आंधियां नहीं होती तो भवन बनाने की जरूरत नहीं होती। एक है तो दूसरे का होना अनिवार्य है। पहला दिन है तो दूसरा दिन होना जरूरी है। __ प्रश्न है-'समाधि की खोज क्यों?' समस्या है इसलिए समाधि की खोज जरूरी है। यदि कोई समस्या नहीं होती तो समाधि की खोज की आवश्यकता भी नहीं होती। समाधि की साधना इसीलिए जरूरी है कि समस्या को समाहित किया जा सके। मनुष्य ने समस्या को सुलझाने के अनेक उपाय किए। वह शारीरिक समस्या को सुलझाने में पूर्ण सफल रहा है। पुराने युग से भी आज वह इस दिशा में अधिक सफल है। वह शत-प्रतिशत समस्याओं को सुलझा सका है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। आज भी ऐसी बीमारियां हैं जिनका उपचार उसके पास नहीं है। वह खोज कर रहा है, पर अभी पूर्ण सफल नहीं हो पाया है। पूरी समस्याओं का समाधान कभी होता ही नहीं। जिस दिन जिस समस्या का शत-प्रतिशत समाधान हो जाता है, वह समस्या ही नहीं मिटती, साथ-साथ समस्या से सम्बद्ध सारी सामग्री भी समाप्त हो जाती है। यदि शरीर को रहना है तो उसके साथ-साथ शरीर की समस्याओं को भी रहना है। जिस दिन शरीर की कोई समस्या नहीं रहेगी, पता नहीं उस दिन शरीर रहे या न रहे। यह कभी संभव नहीं है कि सारी समस्याएं समाहित हो जाएं। इस युग में शारीरिक समस्याओं का पर्याप्त समाधान हुआ है, परन्तु मानसिक समस्याओं का समाधान बहुत ही कम हुआ है। इनको सुलझाने का जितना प्रयत्न किया गया, ये अधिक उलझती गयीं और आज ऐसा लग रहा है कि प्रत्येक व्यक्ति इससे अत्यधिक ग्रस्त है। इसलिए आज समाधि की बहुत आवश्यकता है। अतीत में समाधि की उतनी आवश्यकता नहीं थी, जितनी आज है क्योंकि आज बीमारी अधिक बढ़ गयी है, मानसिक पागलपन बहुत वृद्धिंगत हो गया है। आज के जीवन में जितना मानसिक तनाव और दबाव है उतना अतीत में नहीं था। इतिहास इसका साक्षी है। कारण है भय आज तनाव के कारणों की संख्या बढ़ गयी है। उसमें भय मुख्य कारण है। पुराने जमाने में भय होता था चोर का, डाकू का। आज चोर और डाकू Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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