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________________ के रहस्यों की बहुत स्पष्ट जानकारी मिल जाती है। विज्ञान प्रायोगिक दर्शन है, इसलिए धर्म और दर्शन के बीच में अभेद्य दीवार नहीं होनी चाहिए। वर्तमान में साधना-ग्रन्थों में सूत्र उपलब्ध हैं। उनके रहस्य और चाभियां उपलब्ध नहीं हैं। विज्ञान के द्वारा वे उपलब्ध हो जाते हैं। धर्म से विज्ञान और विज्ञान से धर्म कितना लाभान्वित होता है, यह अध्ययन की नयी शाखा हो सकती है, किन्तु धर्म अनेक समस्याओं को सुलझाने और अनके रहस्यों को उद्घाटित करने के लिए बहुत उपयोगी है। अध्यात्म के आचार्यों ने अनुभव के आधार पर रहस्यों की खोज की थी। उन्होंने अपने अनुभवों को शास्त्रों में संकलित किया था। अनुभव की वाणी को साधना के द्वारा ही समझा जा सकता है। उसे समझने का दूसरा उपाय है-प्रयोग । धर्म भी प्रायोगिक होना चाहिए। प्रस्तुत कृति से यही दृष्टि विकसित होती है। मानसिक समस्याओं और तनावों के युग में समाधि का अनुभव सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। मनुष्य के सामने अनेक समस्याएं हैं। उसके जीवन में अनेक दुःख हैं और वह दुःख-मुक्ति चाहता है। ज्ञान और आचरण में दूरी है। वह मनुष्य के व्यक्तित्व को विखंडित करती है। प्राकृतिक और अर्जित आदतें उसे सताती हैं। समाधि का अनुभव इन समस्याओं का स्थायी समाधान है। दिल्ली के दो तथा लुधियाना के दो-इन चार शिविरों में समाधि की जो चर्चा की गई, वह इसमें संकलित है। आचार्यश्री तुलसी ने प्रेक्षा-ध्यान, उसके प्रयोग और चर्चा को सदा प्रोत्साहित किया है, इसलिए प्रेक्षा-ध्यान के नये-नये आयाम प्रस्तुत हुए हैं। प्रस्तुत कृति के संपादन में मुनि दुलहराजजी ने अपने श्रम और शक्ति का नियोजन किया है। मेरी मंगल-भावना है कि मनुष्य मात्र को समाधि का बीज मिले। आचार्य महाप्रज्ञ जैन विश्व भारती लाडनूं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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