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४२ अप्पाणं सरणं गच्छामि
आज अद्भुत खोजें प्रस्तुत की हैं । लेसर किरण आज उसका मूर्त रूप है। उसकी शक्ति इतनी है कि वह न्यूनतम समय में हजारों हीरे एक साथ काट देती है । पराध्वनि के द्वारा जो कार्य आज निष्पन्न हो रहे हैं, उनकी कल्पना करना भी आज सहज नहीं है । ध्वनि की शक्ति, प्रकंपनों और रेडियो तरंगों की शक्ति की अद्भुतता आज सर्वविदित है । यदि शक्ति का रहस्य समझ में आ जाए तो बदलने की बात असंभव नहीं लगती। आज एक क्रोधी आदमी कह सकता है कि मैं क्रोध को बदल दूंगा । लोभ और भीरु आदमी कह सकता है कि वह लोभ और भय से छुटकारा पा लेगा। ऐसा हो सकता है। पर बदलने के लिए सबसे पहले वीर्य - आत्मा को देखना और जानना जरूरी है । संकल्प शक्ति को जागृत करना जरूरी है। जब संकल्प जाग जाता है तब रूपान्तरण प्रारंभ हो जाता है । जब संकल्प शक्ति नहीं जागती तब कुछ भी नहीं बदल सकता ।
युद्ध लड़ा जा रहा था। एक ओर विशाल सेना थी, दूसरी ओर छोटी सेना थी। सेना हारने लगी । सेनापति को हार का संवाद मिला । वह खिन्न और चिंतातुर होकर घर में बैठ गया । पत्नी ने उदासी का कारण पूछा । सेनापति बोला- 'अशुभ संवाद मिला है। मेरी सेना हार रही है। बहुत बुरी घटना है । पत्नी ने कहा- 'सेना हार रही है, यह बहुत बुरी घटना नहीं है। बुरी बात यह है कि आपका मनोबल टूट गया, आपकी संकल्प-शक्ति क्षीण हो गई ।' यह सुनते ही सेनापति का मनोबल जाग उठा। उसकी वीर्य आत्मा, शक्ति की आत्मा जागृत हुई । वह मैदान में आ डटा । बड़ी सेना हार कर भाग गई। छोटी सेना जीत गई ।
जब मनुष्य की संकल्प-शक्ति टूट जाती है तब रूपान्तरण की बात ही नहीं उठती, न स्वभाव बदला जा सकता है और न व्यक्तित्व ही बदला जा सकता है।
प्रत्येक व्यक्ति इस सचाई का अनुभव करे कि वह अपनी शक्ति का प्रयोग करके जो चाहे बन सकता है, बदल सकता है। जानें और बदलें । देखें और बदलें । जानने के लिए ज्ञान आत्मा का उपयोग करें और बदलने के लिए वीर्य - आत्मा का उपयोग करें।
आत्मा के द्वारा आत्मा को देखने के ये तीन अर्थ हैं
१. अपनी चंचलता को देखें ।
२. चंचलता को उत्पन्न करने वाली पदार्थ-चेतना और पदार्थ - प्रतिबद्ध चेतना को देखें ।
३. परिणमन घटित करने वाली वीर्य - आत्मा को देखें ।
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