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अप्पाणं सरणं गच्छामि ३२३
होता है अचौर्य और अपरिग्रह के आधार पर । समाज निर्माण के ये पांच सूत्र हैं। । समाज रचना के आदिकाल में इन्हीं पांच सूत्रों का पालन किया जाता रहा । इन्हीं के आधार पर समाज अस्तित्व में आया। जब लोग जंगल में रहते थे, अकेले थे, न परिवार था और न कोई संबंध, तब समाज नहीं था । लोग मांसाहारी थे । एक प्रकार से वे हिंसक पशु का जीवन जीते थे। भूख को शांत करने के लिए वे आदमी को भी मार डालते थे । जब समाज बना, गांव बसा तो उसका आधार - सूत्र था - 'परस्परोपग्रहो जीवानाम्' - जीव जीते हैं एक-दूसरे को आधार देकर । बिना इस उपग्रह या आलम्बन के कोई जीव जीवित नहीं रह सकता । इसके अभाव में एक-दूसरे को मारना, काटना - यही पनपेगा। जब तक अहिंसा का भाव विकसित नहीं होता, तब तक एक प्राणी दूसरे प्राणी के साथ रह नहीं सकता । यह अहिंसा का भाव गांव या समाज के निर्माण का आधार बना । सभी व्यक्तियों ने यह समझौता किया कि हम साथ रहेंगे। किसी को घात नहीं पहुंचायेंगे । किसी को नहीं मारेंगे। गांवों में व्यापार इसी सूत्र पर विकसित हुआ कि कोई विश्वासघात नहीं करेगा, कोई किसी को धोखा नहीं देगा, किसी की संपत्ति नहीं हड़पेगा, अप्रामाणिकता नहीं बरतेगा। इन सूत्रों के आधार पर व्यवसाय का विकास हुआ। लाखों-करोड़ों का लेन-देन बिना लिखा-पढ़ी के होता था । न साक्षी और न और कुछ। सब कुछ जबानी लेन-देन । विश्वास की यह पराकाष्ठा थी । जबान का मूल्य जीवन से बढ़कर था। बात को रखने के लिए मृत्यु-वरण स्वीकार करना सहज-सरल बात थी ।
गुजरात के एक प्रसिद्ध सेठ थे - भैंसाशाह । वे जबान के धनी था । उनका अपना करोड़ों का व्यवसाय था। एक बार वे व्यापार के निमित्त कहीं अनजाने प्रदेश में चले गए। वहां उन्हें एक लाख रुपयों की जरूरत पड़ी। वहां कोई जान-पहचान वाला नहीं था। वे बाजार में गए। एक साहूकार की पेढ़ी पर चढ़े। साहूकार ने उनका स्वागत किया। भैंसाशाह ने कहा- -एक लाख रुपयों की आवश्यकता है। यह लो मेरी मूंछ का बाल । इसे रखो। मैं ब्याज सहित पूरे रुपये चुकाकर यह बाल ले जाऊंगा। सेठ के बाल को रखकर उसने एक लाख रुपये दे दिए।
समाज - विकास के सूत्र
आप इस घटना को आज के व्यवहार से मिलाएं। कहां वह सघन विश्वास और प्रामाणिकता और कहां आज सघन विश्वासघात और अप्रामाणिकता ! दोनों स्थितियों में रात-दिन का अन्तर है । आज तो सारी मूंछ उखाड़कर दे दें तो भी पांच रुपये मिलना मुश्किल है और यदि कोई विश्वास में दे देता है तो धोखा ही खाना पड़ता है । उस समय सारा व्यवसाय चलता था जबान के आधार पर । गांव का विकास अहिंसा के आधार पर हुआ। गांव में आवश्यक व्यवसाय का
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