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________________ समस्या के मूल की खोज २६५ संतुलन का विकास ध्यान से हमें ध्यान के द्वारा संतुलन का विकास, मनोबल का विकास और क्षमता का विकास करना है। हमें वह विकास करना है जो सारी परिस्थिति के सामने एक दीवार खड़ी कर सके, परिस्थिति से टूटे नहीं, घुटने न टेके। क्या हम नहीं जानते कि जब आदमी का मन शुद्ध नहीं होता, चित्त शुद्ध नहीं होता तब वह कितनी कठिनाइयों से गुजरता है? जब हम लोगों की समस्याओं को सुनते हैं तब मन करुणा से भर जाता है। सोचते हैं क्या यही है संसार? किसी का पिता मर गया है और किसी का बेटा मर गया है। किसी पति ने पत्नी को छोड़ दिया है और किसी पत्नी ने पति को छोड़ दिया है। ये सारी स्थितियां समस्याएं पैदा करती हैं। इस विश्व में इतनी विरोधी स्थितियां हैं मन को और चित्त की चेतना को तोड़ने के लिए कि यदि मन शक्तिशाली नहीं होता है तो मनुष्य के लिए पागल बनने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं बचता। समस्या पर एकाग्र होना : समस्या का समाधान एक भाई ने आकर कहा-मैं पागल होता जा रहा हूं। आप बताएं कि मैं ठीक होऊंगा या नहीं? मैंने कहा-ठीक होना या न होना तुम्हारे हाथ में है। तुम झेलने की शक्ति का विकास करो। झेलने की शक्ति एकाग्रता से प्राप्त होती है। आज का व्यक्ति एकाग्र होना नहीं जानता । जिस व्यक्ति, समाज या राष्ट्र में एकाग्रता की शक्ति नहीं होती वह कंगाल बन जाता है। आज भारत और जापान की स्थिति को देखें। जापान ने जितना विकास किया है, भारत उससे बहुत पीछे है। किसी भी विषय पर एकाग्र होने का अभ्यास जितना जापानियों ने किया है, उतना भारतवासियों ने नहीं किया, ऐसा नहीं कहना चाहिए किन्तु यह कहना चाहिए कि एकाग्रता की जो शक्ति भारत में थी और जिस शक्ति का शिक्षण जापान को दिया था, आज भारत उस विद्या को भुला बैठा और जापान उसका उपयोग कर रहा है। जब तक व्यक्ति समस्या पर एकाग्र होना नहीं जानता, पूरी एकाग्रता और तन्मयता के साथ समस्या का समाधान खोजना नहीं जानता, तब तक समस्या समाहित नहीं होती। आज एक विषय पर मन एकाग्र होता है तो कल दूसरे विषय पर। आज एक योजना बनती है तो कुल दूसरी योजना सामने आ जाती है। __एक गांव में एक सेवक रहता था। वह एक काम शुरू करता, बीच में ही दूसरा काम शुरू कर देता। इस प्रकार वह अनेक काम प्रारंभ कर देता, पर पूरा एक भी नहीं होता। एक दिन एक आदमी ने उसे आम लाने भेजा। बीच में दूसरा आदमी मिला। उसने कहा-सेवकजी! घर में आटा नहीं है, आटा ला दो। वह आम लाना भूल गया और आटा लाने चला गया। फिर तीसरा आदमी मिला, वह बोला-सेवकजी! घर में पत्नी बेहोश पड़ी है, वैद्य को बुला लाओ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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