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________________ २६२ अप्पाणं सरणं गच्छामि सचाई है। हम किसी एक सचाई को पूरी सचाई मानकर यदि शेष सचाइयों को अस्वीकार कर देते हैं तो और सघन अन्धकार में भटक जाते हैं। संसार : समस्याओं का आलय । एक व्यक्ति ने मुझे पूछा-क्या ध्यान के द्वारा सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है? मैंने कहा-'संसार में ऐसी कोई शक्ति नहीं है जो सभी समस्याओं का समाधान दे सके। सब शक्तियों की अपनी-अपनी सीमा है। यदि किसी एक शक्ति के द्वारा सारी समस्याओं का समाधान हो सके तो मैं उसे सार्वभौम शक्ति-सम्पन्न ईश्वर मानूंगा। ईश्वर की विशेषता ही क्या है? ईश्वर वह होता है जो सारी समस्याओं का समाधान दे सके, किन्तु मैं समझता हूं कि इन सारी समस्याओं का समाधान ईश्वर भी नहीं दे सकता। वह अपनी स्थिति में ही समाधान दे सकता है, जगत् की स्थिति में नहीं दे सकता। जगत् की स्थिति में यदि समाधान देने की उसकी क्षमता होती तो आज सारा संसार समस्याओं से मुक्त हो जाता, संसार में कोई समस्या रहती ही नहीं। यह संसार समस्याओं का संसार है। इसमें समस्याएं थीं, हैं और रहेंगी। अगर कोई कहे कि सत्युग समस्याओं से मुक्त था, वह दावा झूठा होगा। यदि कोई यह कल्पना करे कि ऐसा युग आएगा जिसमें कोई समस्या ही नहीं रहेगी तो यह भी अति-कल्पना होगी। आदमी सदा समस्या के साथ जीता रहा है, जी रहा है और जीता रहेगा। आप इसे निराशा की बात न समझें। आप सोचेंगे, हम शिविर में आए हैं समस्याओं को मिटाने के लिए। किन्तु जब समस्याएं शाश्वत हैं तब हमारा ध्यान का, कायोत्सर्ग का या अन्यान्य साधना का प्रयत्न व्यर्थ होगा। क्यों हम ध्यान करें? क्यों साधना में समय लगाएं? । हम सचाई को समझकर चलें। आदमी कितना ही प्रयत्न क्यों न करे, वह समस्याओं से बच नहीं सकता। समस्याएं आएंगी, समस्याएं रहेंगी। परिस्थिति को नहीं मिटाया जा सकता। आर्थिक समस्याओं को सदा-सदा के लिए नहीं सुलझाया जा सकता। गरीबी को मिटाने के लिए अनेक सपने लिये गए, पर दुनिया से गरीबी नहीं मिटी। आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न देशों में भी हजारों लोग गरीबी से पीड़ित हैं। जो देश अन्यान्य देशों को करोड़ों की सहायता देते हैं, वहां के हजारों निवासी फुटपाथों पर सोते हैं। जहां सामाजिक समानता के लिए प्रयत्न किये गए, वहां के लोग भी सामाजिक विषमता से पीड़ित हैं और आर्थिक भ्रष्टाचार के शिकार हैं। नयी शक्ति : प्रतिरोधात्मक शक्ति __ हम ध्यान साधना के द्वारा समस्या को मिटाने का प्रयत्न नहीं कर रहे हैं किन्तु समस्या के मूल की खोज कर, समस्या के प्रतिरोध में एक नयी शक्ति खड़ी करने का प्रयास कर रहे हैं। हम प्रतिरोधात्मक शक्ति उत्पन्न करें जो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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