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________________ चैतन्य का अनुभव २८१ भगवान् रहता है, अपना प्रभु होता है, अपनी आत्मा होती है। लोग भरे हुए का मूल्य समझते हैं, खाली का मूल्य नहीं समझते। भरा हुआ बहुत सताता है। नौका नदी पार कर रही थी। अनेक व्यक्ति उसमें थे। भार अधिक हो गया। नौका डगमगाने लगी। नाविक ने कहा-नौका डूब जाएगी। यदि सबको बचना है तो स्वयं को सुरक्षित रखते हुए अपना सारा सामान नदी में बहा दो, अन्यथा सामान के साथ-साथ प्राण भी जाएंगे। सबने अपने जीवन की सुरक्षा को महत्त्व देते हुए सामान नदी में डाल दिया। एक बनिये के पास तीन खाली डिब्बे और एक रुपयों से भरा डिब्बा था। उसने खाली डिब्बे पानी में डाल दिए। नाविक ने कहा-इस वजनी डिब्बे को डाल दो। बनिये ने रुपयों को ऐसे व्यर्थ बहाना उचित नहीं समझा। वह डिब्बे को साथ ले नदी में कूद पड़ा। नौका हल्की हो गई। पर वह बनिया उस डिब्बे के भार से दबकर डूब गया। यदि वह खाली डिब्बे के साथ कूदता तो संभव है बच जाता, पर भरे हुए डिब्बे ने उसे डुबो दिया। लोगों का भरे हुए पर अधिक विश्वास है, खाली पर नहीं। काम में लगे रहते हैं तो समझते हैं भरे हुए हैं, समय का उपयोग हो रहा है। जब खाली होते हैं तब समझते हैं, आज तो समय व्यर्थ ही खो रहे हैं। लोग खाली रहना नहीं जानते और खाली रहने के समय का उपयोग करना भी नहीं जानते। आदमी खाली कहां रह पाता है? जब उसके पास कोई काम नहीं होता, तब भी वह खाली नहीं है। उसके मन का चक्का इतनी तीव्र गति से घूमता है कि दुनिया की सारी स्मृतियां उस समय उभर आती हैं। मस्तिष्क विचारों से, संकल्प-विकल्पों से भर जाता है। कहां है खाली वह आदमी? उसका दिमाग भरा ही रहता है। बहुत बड़ा कवि था इमरसन। वह घूमने निकला। अकस्मात् वर्षा आ गई। उसके पास अपनी कविताओं की एक पांडुलिपि थी। भीगने के डर से उसने वह पांडुलिपि एक दुकानदार के पास रख दी। इमरसन चला गया। दुकानदार ने देखा-कुछ पन्ने भरे हुए हैं, कुछ खाली हैं वह भरे हुए पन्नों में वस्तुएं लपेटकर ग्राहकों को देता रहा। कुछ समय पश्चात् वर्षा रुकी, इमरसन आया। पांडुलिपि मांगी। दुकानदार ने कहा- 'माफ करना, कुछेक भरे पन्नों का मैंने उपयोग कर लिया है। खाली पन्ने ज्यों के त्यों हैं। भरे काम के नहीं थे। खाली लिखने के काम आ सकते हैं। यह सुनते ही इमरसन का माथा ठनका। उसकी सद्यःलिखित महत्त्वपूर्ण कविताओं के पन्ने निकल चुके थे। शेष बचे थे केवल कोरे कागज। अध्यात्म है खाली होने की प्रक्रिया व्यवहार की दुनिया में खाली का मूल्य नहीं होता, भरे का मूल्य होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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