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२०. अपनी खोज
मनुष्य में हजारों विशेषताएं हैं। एक व्यक्ति पैरों से रंगीन चित्र बनाता है। एक व्यक्ति पैरों से कागज को काट-छांटकर अनेक प्रकार के पक्षी बना लेता है। एक व्यक्ति आया, उसके हाथ काम नहीं करते थे। उसने बड़ी कैंची पैरों में पकड़ी, एक कागज लिया। पैरों से उसे मोड़ा और कुछ ही क्षणों में मोर तैयार हो गए। कैंची पैरों से चल रही थी। कागज को मोड़ना भी पैरों से हो रहा था। सब कुछ पैर कर रहे थे। इसी प्रकार पैरों से रोटी बना लेता है। चाय बनाना भी पैरों से होता है। हाथ से किए जाने वाले सारे कार्य पैरों से कर लेता है। कुछ व्यक्ति दाएं हाथ से लिखने का कार्य बाएं हाथ से कर लेते हैं। अक्षरों की वही सुघड़ता और लिखने की गति भी वही। कोई अन्तर नहीं आता।
मानव शरीर में बहुत विशेषताएं हैं। कान का काम है सुनना। यदि कान से सुनाई न दे, तो दांतों से सुना जा सकता है। आंख का कार्य है देखना। यदि आंख से न दीखे, तो अंगुलियों से देखा जा सकता है, पढ़ा जा सकता है। मनुष्य की विशेषताओं को निश्चित नियमबद्ध नहीं बताया जा सकता।
प्रश्न है कि मनुष्य की सबसे बड़ी विशेषता क्या है ? 'बड़े' का प्रश्न हमेशा रहा है। आदमी की प्रकृति है कि वह बड़े से संतुष्ट होता है, छोटे से नहीं। लोग आते हैं और जब तक आचार्य तुलसी के दर्शन नहीं कर लेते, तब तक उन्हें संतोष नहीं होता। बच्चा भी आता है और पूछता है-बड़े गुरुजी कहां हैं? क्या प्रत्येक आदमी की प्रकृति है कि वह बड़े तक आना चाहता है? जब तक आदमी पहाड़ की ऊंची से ऊंची चोटी का स्पर्श नहीं कर लेता, उसे संतोष नहीं होता।
मनुष्य की सबसे बड़ी विशेषता है-समाधि । जीवन की सबसे बड़ी कला है-समाधि । जीवन का सबसे बड़ा विज्ञान है-समाधि । जिस व्यक्ति को समाधि उपलब्ध हो जाती है, शेष सारी विशेषताएं उसे प्राप्त हो जाती हैं या यह कहना चाहिए कि उसकी दूसरी सारी विशेषताएं नीचे रह जाती हैं। दूसरी-दूसरी विशेषताओं से संपन्न व्यक्ति अत्राण और असहाय देखे जाते हैं। किन्तु जिस व्यक्ति को समाधि उपलब्ध है, वह कभी अत्राण और असहाय नहीं होता। वह कभी अशरण और दुःखी नहीं रहता। समाधि की उपलब्धि
समाधि की उपलब्धि तब होती है जब व्याधि नहीं सताती, उपाधि और
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