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________________ ६ अप्पाणं सरणं गच्छामि बुद्धि के कुछ क्षण ऐसे आते हैं । जब उसमें अनुभव को जगाने की प्रेरणा जागती है । साधक छटपटाता है । वह चाहता है कि बुद्धि की सीमा समाप्त हो और अनुभव की सीमा में प्रवेश हो । किन्तु जब-जब अनुभव को जगाने का प्रयत्न होता है तब-तब अहंकार और ममकार सामने आकर खड़े होते हैं और वे पूरा प्रयत्न करते हैं कि बुद्धि अनुभव को जगाने का प्रयास न करे, परम आनन्द को न जगाए । समाधि के तीन विघ्न हमारे जीवन में चार स्थितियां आती हैं-व्याधि, आधि, उपाधि और समाधि । हम समाधि में जाना चाहते हैं, परम आनन्द की अवस्था में जाना चाहते हैं । ध्यान का प्रयत्न समाधि का प्रयत्न है । यह समाधि की यात्रा है । यह समाधि की दिशा में एक प्रयाण है । प्रत्येक ध्यान साधक समाधि के लिए अपने आपको समर्पित करता है । समाधि का यात्रा - पथ बहुत लम्बा है । समाधि तक पहुंचने में लम्बी यात्रा करनी पड़ती है । उस यात्रा में तीन बड़े विघ्न आते हैं-व्याधि, आधि और उपाधि । ये तीन अवरोध हैं । इनको पार करके ही साधक समाधि तक पहुंच पाता है । जो भी व्यक्ति परम आनन्द तक पहुंचना चाहता है, परम सुख को प्राप्त करना चाहता है, अनुभव को जगाना चाहता है, उसे इन तीनों अवरोधों को दूर करना ही होगा, अन्यथा वह आगे नहीं बढ़ सकेगा । व्याधि व्याधि, आधि, उपाधि और समाधि - ये चारों शब्द एक ही संस्कृत धातु से निष्पन्न होते हैं । किन्तु प्रथम तीन हमारे लिए अनुपादेय हैं और शेष एक-समाधि हमारे लिए उपादेय है । व्याधि का अर्थ है - शारीरिक बीमारी । शारीरिक बीमारियों को मिटाए बिना हम समाधि तक नहीं पहुंच सकते । समाधान कैसे मिले? व्याधियां प्रतिपल सताने लगती हैं । पग-पग पर वे समस्याएं उत्पन्न करती हैं । जब साधक ध्यान करने बैठता है, उसकी शारीरिक बीमारियां उग्र होने लगती हैं। जहां कभी भी दर्द महसूस नहीं होता था, वहां दर्द प्रकट हो जाता है। दर्द प्रवाही होता है । कभी इधर और कभी उधर । ध्यान में मन ही नहीं लगता। दर्द सारी एकाग्रता को नष्ट कर देता है। ध्यान करे या पैरों में उठने वाले दर्द को संभाले । ध्यान में रीढ़ की हड्डी सीधी रखने का प्रयत्न करते हैं तो वहां भी दर्द उठता है। ध्यान करे या रीढ़ की हड्डी को संभाले । दीर्घ श्वास लेने का प्रयत्न करते हैं तब फेफड़े में दर्द होने लगता है, पेट में दर्द होने लगता है । व्याधियां सताती हैं तब समाधि प्राप्त नहीं हो सकती । समाधि तक पहुंचने के लिए व्याधि पर नियंत्रण पाना जरूरी है । व्याधि को देखें और व्याधि पर नियंत्रण करें। आप अपने पुरुषार्थ पर भरोसा रखें। पुरुषार्थ से नियंत्रण पाया जा सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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