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भागवत की स्तुतियां : स्रोत, वर्गीकरण एवं वस्तु विश्लेषण एकादश स्कंध
अध्याय श्लोक संख्या १. उद्धवकत श्रीकृष्ण स्तुति
०१-५ २. करभाजनोपदिष्ट भगवत्स्तुति
३३-३४ ३. देवगणकृत श्रीकृष्ण स्तुति
०७-१५ ४. देवगणकृत नरनारायण स्तुति
०९-११ द्वादश स्कंध १. मार्कण्डेय कृत शिवस्तुति
४०-४९ २. मार्कण्डेय कृत भगवत्स्तुति
२८-३४ ३. याज्ञवल्क्यकृत आदित्य स्तुति
६७-७६ ४. सूतोपदिष्ट कृष्ण स्तुति
२४-२६ ५. सूतोपदिष्ट कृष्ण स्तुति
१-२ इस प्रकार श्रीमद्भागवत में कुल १३२ स्तुतियां हैं। प्रथम स्कन्ध में पांच, द्वितीय स्कन्ध में दो, तृतीय स्कन्ध में नौ, चतुर्थ स्कन्ध में पचीस, पंचम स्कन्ध में सोलह, षष्ठ स्कन्ध में आठ, सप्त स्कन्ध में अट्ठारह, अष्टम स्कन्ध में आठ, नवम स्कन्ध में दो, दशम स्कन्ध में तीस, एकादश स्कन्ध में चार एवं द्वादश स्कन्ध में पांच स्तुतियां हैं ।
स्रोत
वेद ब्राह्मण उपनिषद्, आरण्यक, रामायण, महाभारत एवं पुराणादि से संग्रहित सार तत्त्वों के धरातल पर व्यासर्षि ने भागवत के महाप्रासाद को सर्जित किया है । श्रीमद्भागवत में स्तुतियों का आधिक्य है। विभिन्न स्थलों पर विभिन्न देवविषयक स्तुतियां उपन्यस्त हैं। इन स्तुतियों का मूल स्रोत क्या है ? कहां से पराशरात्मज ने मुक्तामणियों को एकत्रित कर स्तुतिस्रग्वी का निर्माण किया ? स्तुति साहित्य की शीतल निरिणी कहां से उद्भूत होती है, भागवतारण्य में उपचित होने वाली कलकल निनादवती श्रुति मधुर शब्दों की धारा किस अमृतागार से निःसृत होती है ? इत्यादि विषय प्रस्तुत संदर्भ में विचारणीय हैं।
___ सर्वप्रथम भागवतीय स्तुतियों का मूल स्रोत वेद है । वैदिक ऋषि द्वारा उपास्य चरणों में समर्पित स्तोत्रों से अलौकिक सौन्दर्य एवं सुरभिमण्डित पुष्पों को ग्रहण कर व्यास देव ने भागवतीय स्तुति-माला को खूब संवारा है। ऋग्वेद का प्रारंभ ही अग्नि देव की स्तुति से होता है ...
अग्निमीडे पुरोहितं यज्ञस्य देवं ऋत्विजं होतारं रत्नधातमम् ।' १. ऋग्वेद १.१.१
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