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समर्पण
यह ग्रन्थ समता धर्म के उद्भावक एवं विश्व मैत्री के साधक, परमविभूति-सम्पन्न, अणुव्रत-अनुशास्ता श्रीमत्पूज्य गुरुदेव गणाधिपति श्री तुलसी को समर्पित
हरिशंकर
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