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प्रणति निवेदन
इदानों चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता,
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥ उस दिव्यसुन्दरी चिन्मयी माता के चरणों में सादर प्रणति
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हरिशंकर
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