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(तीस)
५१. भय उत्पन्न होने के चार कारण। ५२. मथुन की इच्छा उत्पन्न होने के चार कारण ।
५३. ममत्व (परिग्रह) के चार कारण । ५४-५५. दान के दस प्रकार ।
५६.धर्म के दस प्रकार।
अध्याय १६ मनः प्रसाद (श्लोक ४६)
३६४-३८८ १. मानसिक प्रसन्नता और प्रमाद-मुक्ति की जिज्ञासा । २-१६. मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न उपायों का प्रतिपादन । १७. वीतराग को स्मृति से लाभ। १८. परमात्मा बनने की प्रक्रिया। १६. प्रतिपल आत्म-स्मृति को सार्थकता। २०. आयुष्य का बन्धन कब? २१. आत्म-विशुद्धि की सार्थकता।
२२. छह लेश्याओं का कथन । २३-२५. तीन पाप लेश्याओं का कथन । २६-२८. तीन धर्म लेश्याओं का वर्णन ।
२६. पाप लेश्या त्याज्य, धर्म लेश्यायें स्वीकार्य । ३०. क्षमा करने के पांच हेतु।
३१. सत्य क्या है ? ३२-३३. मुनि की चार दुःख शय्यायें (आश्रय-स्थान)। ३४-३५. मुनि की चार सुख शय्यायें ।
३६. दुःसंज्ञाप्य व्यक्ति के प्रकार। ३७. पंडितमानी व्यक्ति का कार्य ।
३८. सम्बोधि का प्रवचन सुन मेघ द्वारा महावीर की स्तुति । ३६-४७. कृतज्ञता ज्ञापन । ४८-४६. संबोधि ग्रन्थ के पठन से लाभ । परिशिष्ट
.३६१-४४६ १. योग : एक मीमांसा। २. संबोधि के आगमिक आधार-स्थल ।
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