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(तेईस)
१६-२०. धर्म क्या है ?
२१. धर्म का प्रवचन क्यों? २२. प्रमादी पर्यटन करता है।
२३. धर्म का फल-मोक्ष। २४-३५. मुनि और देवताओं के सुख की तुलना।
३६. शुक्ल लेश्या वाले मुनि की मुक्ति । ३७. कल्याण प्राप्ति के गुणों का कथन ।
अध्याय १०
संयतचर्या (श्लोक ४०)
१८६-२०५ १. साधक-चर्या की जिज्ञासा । २. साधक-चर्या का ध्र व-बिन्दु । ३-४. आस्रव-निरोध से कर्म-निरोध ।
५. एक प्रश्न : भोजन क्यों करें? ६-१०. भोजन करने और न करने के कारणों का प्रतिपादन ।
११. मितभोजी कौन ? १२-१४. स्वाद-विजय की प्रक्रिया और परिणाम ।
१५. कैसे न खायें ?
१६. जीना श्रेयस्कर है या मरना? १७-१८. संयत जीवन और संयत मरण श्रेयस्कर है ।
१६. अकाम और सकाम मरण की चर्चा । २०-२१. मरण का विवेक । २२-२४. पुरुषों की तीन-तीन कोटियां।
२५. समाधि : मुक्ति का द्वार । २६. नरक-स्वर्ग नहीं है—ऐसा मत कहो। २७. नरक-गमन के चार हेतु। २८. स्वर्ग-गमन के चार हेतु । २६. मनुष्य जन्म की प्राप्ति के चार हेतु । ३०.तिर्यञ्च गति की प्राप्ति के चार हेतु। ३१. प्रमादी का भव-भ्रमण, अप्रमादी का भव-निरोध । ३२. बोधि-प्राप्त व्यक्तियों की श्रेणियां। ३३. रुचि-भेद के कारण साधना मार्गों का भेद ।
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