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________________ अध्याय ४ : ८१ पदार्थ-सापेक्ष सुख ठीक इससे उल्टा है। वह असहज, सापेक्ष, सविकार और ऐन्द्रियक है। मानव इस सहज आनन्द की परिकल्पना कैसे कर सकता है ? उसकी कोई भेट भी नहीं हुई है। वह अस्वाभाविक जगत् का प्राणी है। पदार्थ-सापेक्ष सुख सहज, निरपेक्ष, निर्विकार और अतीन्द्रिय नहीं होता। पदार्थ के परिवर्तित होते ही सुख में परिवर्तन हो जाता है । यह सबका अनुभव है कि जो पहले प्रिय था, वही बाद में अप्रिय हो जाता है। प्रेम घृणा में, राग विराग में और सुख दुःख में बदल जाता है। वस्तुतः इस जगत् में "है" जैसी कोई चीज नहीं है। प्रतिक्षण सब बदल रहा है। सन्त सहजो ने कहा है--सुखी केवल इस संसार में सन्त हैं, जो नित्य-शाश्वत में विचरण कर रहे हैं। शेष सब दुःखी हैं, चाहे किसी को देखो। "मुए दुःखी जीवित दुःखी, दुखिया भूख अहार। साध सुखी सहजो कहे, पायो नित्य विहार ।।" अनित्य से नित्य का अनुभव कैसे सम्भव है ? नित्य की अनुभूति के लिए नित्य का दर्शन अपेक्षित है। नित्य में समस्त अपेक्षाएं हट जाती हैं। वहां जैसा जो है, वह प्रत्यक्ष हो जाता है। आत्मलीनो महायोगी, वर्षमात्रेण संयमी। अतिक्रामति सर्वेषां, तेजोलेश्यां सुपर्वणाम् ।।१०॥ १०. जो संयमी आत्मा में लीन और महान योगी होता है, वह वर्ष-भर के दीक्षा-पर्याय से समस्त देवों के सुखों को लांघ जाता है अर्थात् उनसे अधिक सुखी बन जाता है । ___ बहुत लोगों के मानस में यह जिज्ञासा उठती है कि ध्यान की निष्पत्ति क्या है ? वे प्रत्यक्षतः कोई उपलब्धि नहीं देखते। वे चाहते हैं कोई चमत्कार या कोई विशेष विभूति दृष्टिगत हो। उनकी दृष्टि में ध्यान यहीं समाप्त हो जाता है। यदि कुछ उपलब्धि हो गई तो ध्यान की सार्थकता है, अन्यथा व्यर्थ । सामान्य लोगों का यह तर्क असहज नहीं है। जो जहां तक देखते हैं, सुनते हैं वहां से आगे की कल्पना उनके लिए अशक्य है । ध्यान का यही फल होता तो यह अन्य तरीकों से भी साधा जा सकता है, और साधा जाता भी है। किन्तु ध्यान के मुख्य उद्देश्य के लिए यह बाधक है, इसे स्मृति से ओझल नहीं करना चाहिए। कबीरने कहा है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003124
Book TitleSambodhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1981
Total Pages510
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size19 MB
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