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कैसी हो इक्कीसवीं शताब्दी ?
बीसवी शताब्दी इक्कीसवीं शताब्दी के स्वागत की तैयारी कर रही है । वह तैयार है अपना उत्तराधिकार सौंपने के लिए। उसने जो अर्जित किया है, वह विशाल है। उसने विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ी प्रगति की है, पूरी दुनिया को एक पीठ पर लाकर बिठा दिया है, क्षेत्रीय दूरियां समाप्त हो गई हैं। एक क्षण में दुनिया के किसी भी हिस्से से आप बात कर सकते हैं, संवाद का आदान-प्रदान कर सकते हैं। कुछ घंटों में दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में आ-जा सकते हैं । उपग्रह ने गुप्त रहस्य जैसे शब्द को अर्थहीन बना दिया है। जीन के विकास ने सृष्टि को बदलने का सूत्र अपने हाथ में थाम लिया है । और भी बहुत कुछ हुआ है । यह केवल अंगुलि -निर्देश है।
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राजनीति के क्षेत्र में बीसवीं शताब्दी के पास देने को बहुत कुछ है - लोकतन्त्र, समाजवाद, साम्यवाद, पूंजीवाद और गांधीवाद ।
व्यवसाय और उद्योग के क्षेत्र में उसने कीर्तिमान स्थापित किए हैं। बहुउद्देशीय अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों का जाल बिछा हुआ है। खुला बाजार की नई संस्कृति पनप चुकी है।
भाषा, जाति, वर्ण और सम्प्रदाय के नाम पर मनुष्यों को बांटने का सर्वाधिक श्रेय इसी शताब्दी को प्राप्त है ।
शस्त्र-निर्माण के क्षेत्र में जो विकास हुआ है, उसकी सीमा अणु-अस्त्र ही नहीं है। उससे आगे भी बहुत कुछ हो रहा है। हिंसा और आतंक का मुक्त वातावरण बना हुआ है ।
इस सारी विकास-सम्पदा की फलश्रुति है -
1. वैज्ञानिक प्रगति 2. लोकतंत्रीय समाजवादी दृष्टिकोण 3. पदार्थवादी दृष्टिकोण 4. सुविधावादी दृष्टिकोण 5. आर्थिक विकास 6. पर्यावरण का प्रदूषण 7. नैतिक मूल्यों का हास ।
इनमें कुछ इष्ट हैं और कुछ अनिष्ट । इष्ट की तालिका में वैज्ञानिक प्रगति, आर्थिक विकास और लोकतंत्रीय समाजवादी दृष्टिकोण को रखा जा सकता है। शेष सब शान्तिपूर्ण सामाजिक जीवन के लिए इष्ट नहीं हैं । इनमें अधिकतम अवांछनीय है--नैतिक मूल्यों का ह्रास | पर्यावरण को प्रदूषित करने
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