SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 404
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३८६ साउकाया: श्रेयोऽर्थं वी (वि) हरमाणतीर्थंकर श्री बाहुजिनालंकृता देवकुलिका कारिता ।। दे० (२६) ६१-स्वस्ति श्रीनृपविक्रमात् १२६३ वर्षे चैत्र वदि ८ शुक्र, अद्य ह श्रीअर्बुदाचलमहातीर्थे स्वयं कारित श्रीलूणसीहबसहिकाख्य श्री नेमिनाथ देव चैत्यजगत्यां श्रीप्राग्वाट ज्ञातीय ठ० श्रीचंडप ठ० श्री चंडप्रसाद महं श्री सोमान्वये ठ० श्री आसराज ठ० श्रीकुमरादेव्योः सुत महं० श्री तेजःपालेन स्वभगिन्या बाई धणदेविश्रेयसे विहरमाण तीर्थंकर श्री सुबाहुबिबालंकृता देवकुलिका कारिता ।। ६२-सं० १४८६ वर्षे चैत्र सुदि १० सोमे श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्य श्रीश्रीमालवंशमंडन-व्यव-सहदेवसुत उभयकुल विशुद्ध व्यव० नरपाल: श्रीनेमीश्वरं प्रणमति । दे० (३०) ६३-स्वस्ति, श्री नृपविक्रमसंवत् १२६३ वर्षे चैत्रवदि ८ शुक्र, अद्य ह श्री अर्बुदाचलमहातीर्थे स्वयं कारित श्री लूणसीह वसहिकाख्य श्रीनेमिनाथदेवगैत्य जगत्यां श्री प्राग्वाट ज्ञातीय ठ० श्री चंडप, ठ० श्री चंडप्रसाद, महं० श्रीसोमान्वये, ठ० श्रीआसराज ठ० श्री कुमारदेव्योः सुत महं० श्री मालदेव-संघपति महं श्रीवस्तुपालयोरनुज महं श्रीतेजःपालेन स्वभगिन्या बाई सोहागायाः श्रेयोऽर्थं शाश्वत-जिन श्री ऋषभदेवालंकृतादेवकुलिका कारिता ।। दे० (३१) ६४--स्वस्ति श्री नृपविक्रम संवत् १२६३ वर्षे चैत्र वदि ८ शुक्र अद्यह श्री अर्बुदाचलमहातीर्थे स्वयं कारित श्री लूणसीहवसहिकायां नेमिनाथदेवचैत्ये जगत्यां श्री प्राग्वाटज्ञातीय ठ० श्री चंडप, ठ० श्री चंडप्रसाद, महं श्री सोमान्वये ठ० श्री आसराज ठ० श्री कुमारदेव्यो सुत महं श्रीमालदेव-महं० श्रीवस्तुपालयोरनुज महं० श्रीतेजःपालेन स्वभगिन्या बाइ वयजुकायाः श्रेयोऽर्थं श्रीवर्धमान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy