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(४) मौलिक व्याकरण साहित्य
पाणिनि-मुनि-प्रणीत अष्टाध्यायी सूत्रपाठ
पृ० १--माहेश्वर प्रत्याहार सूत्र १४। पृ० १–“संबुद्धौ शाकल्यस्येतावनार्षे' १११।१६।
अध्याय १। पा० १ सूत्र ७५, वार्तिक २४। पृ० ४-"तृषि मृषि कृशेः काश्यपस्य' १।२।२५।
पृ० २४-"भगे च अ० १ पा० २ सूत्र ७३ वार्तिक १५। ।
दारेरिति काशिका" ,, १ , ३ , ६३ , २६।
यह वार्तिक तीसरे ॥ १ ॥ ४ , ११० , २३।।
अध्याय के दूसरे पाद में हैं।
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अ० २ पा० १ ,, २ , २ ,, २, ३
सूत्र ७२ वार्तिक १६॥ ॥ ३८ ॥ २६॥ , ७३ , २६।।
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तीसरे अध्याय के (१) चौथे पाद में १११वां सूत्र 'लङः शाकटायनस्यैव'
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,, ४
, १ ४ , २ ४ , ३ ४ , ४
, ११७ । १७६ , १४५ ॥ १६८ ॥ १४४
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