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________________ वै श्रीप्रभ अनगार किस समय में होंगे ! भगवान ने उत्तर दिया-- गौतम भविष्य में बुरे तथा हल्के लक्षणों वाला अद्रष्टव्य, रौद्र प्रकृतिक, क्रोधी, प्रचण्डक्रोधी, उग्रप्रचंडदण्डकारक, निर्मर्याद, निर्दय, निघृण, घातक, क्रूरतर, पापस्वभावी, अनार्य और मिथ्या दृष्टि कर्की नामक राजा होगा जो पापी प्राभृतार्थ श्रमण संघ को भटकाने की इच्छा वाला श्रमण संघ की कदर्थना करेगा, वह संघ कदर्थना करता होगा तब हे गौतम--श्रमण संघ में जो शील सम्पन्न महाभाग्यशाली और अचलित सत्त्वधारी तपोधन साधु होंगे उनका वज्रपाणि और ऐरावणगामी सौधर्म सुरपति सांनिध्य करेगा, इस प्रकार हे गौतम ! देवेन्द्र वन्द्रित श्रमणसंघ का अतिशय देखकर इन्द्र कुनय प्रवृत्त दर्शनों तथा धर्मों को श्री श्रमण संघ में मिलाकर नाम शेष कर देगा, इस प्रकार हे गौतम ! उस समय पृथ्वी पर एक अहिंसादिलक्षण क्षान्त्यादि दशविध धर्म ही रह जायगा, एक देवाधिदेव अर्हन्, एक जिनालय, एक वन्द्य, एक पूज्य, एक दक्ष, एक सत्कार्य, एक सन्मान्य, महाशय, महासत्य, महानुभाव दृढशीलवत नियमव्रतधारक और तपोधन, एक ही साधु शेष रह जायगा, वह चन्द्र समान शीतलेश्यावान्, सूर्य समान तेज:पुञ्ज, पृथ्वी के समान परीष-उपसर्गों को सहन करने वाला मेरुपर्वत की तरह अहिंसालक्षण क्षान्त्यादि दशविधधर्म में निष्प्रकप भाव से स्थित, वह उत्तम श्रमण गण से परिवृत, निर्मल आकाश में पूर्ण चंद्रिका के योग से युक्त ग्रह नक्षत्रों से परिवृत उडुपतिचन्द्र की तरह वह अधिक दीप्तिमान् होगा। हे गौतम ! वह श्रीप्रभ अनगार ऐसा होगा, इसलिए हे गौतम ! यह आज्ञा श्रीप्रभ अनगार के अस्तित्वकाल तक चलेगी ऐसा समझ लेना चाहिए। गौतम ने पूछा--भगवान ! उसके बाद कैसा वारा वर्तेगा ? भगवान ने कहा--गौतम ! श्रीप्रभ अनगार का स्वर्गवास होने के बाद अधिक हानिशील समय आयेगा, वहां जो कोई साधु षटकाय जीवों का प्रारम्भ वर्जक होगा वहां, धन्य, पुण्य, वंद्य, पूज्य तथा नमस्करणीय होगा और उसका जीवित सुजीवित माना जायगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003122
Book TitlePrabandh Parijat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size18 MB
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