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"निचय' के निबन्ध ४०, ४१, ४२, ४३, ४४ में क्रमशः कौटिल्य अर्थशास्त्र, सांख्यकारिका, ब्रह्मसूत्र शांकरभाष्य, स्मृतिसमुच्चय और माह्निकसूत्रावली का ऐतिहासिक दृष्टि से अवलोकन लिखा है।
आशा है पाठकगण “निबन्ध-निचय" के पढ़ने से अनेक प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, यही नहीं बल्कि ऐतिहासिक ग्रन्थियों को सुलझाने की शक्ति भी शनैः शनैः प्राप्त करेंगे।
कल्याणविजय
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