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________________ निबन्ध-निचय : २३७ नहीं होता। अन्तिम श्रुतधर पार्यरक्षित सूरि के समय तक कोई भी श्रमण जिनवचन का विरोध कर विपरीत प्ररूपणा करता तो उसे संघ बाहर कर दिया जाता था। यह संघ बाहर की परम्परा महावीर निर्वाण के बाद ६०० वर्ष तक चलती रही। इस समय के दान जमालि से लेकर गोष्ठा माहिल तक सात साधु संघ बाहर किए गए, जो जैन शास्त्र में "निन्हव' के नाम से प्रख्यात हैं। इसके बाद धीरे-धीरे साधुओं का निवास वसत्रि में होता गया, गृहस्थों से सम्पर्क बढ़ता गया। पहले जो दिनभर का समय पठन-पाठन तथा स्वाध्याय में व्यतीत होता था, उसका कुछ भाग जिनचैत्य निर्माण, उनकी व्यवस्था आदि का उपदेश देने में बीतने लगा, गृहस्थों का परिचय बढ़ा। इसके फलस्वरूप संघ बाह्य करने का शस्त्र धीरे-धीरे अनुपयोगी हो जाने से तत्कालीन श्रुतधरों ने इस शस्त्र का प्रयोग करना ही बन्द कर दिया। यदि कोई शास्त्र अथवा प्रामाणिक प्रणाली के विरुद्ध की बात कहता भी तो उसके प्राचार्य उसे समझा देते, इस पर भी कोई अपना हठाग्रह न छोड़ता तो उसे अपने समुदाय से जुदा कर देते। संघ बाहर करने तक की नौबत आती नहीं थी। अन्तिम शताब्दी के पिछले ५५ वर्षों के भीतर मैंने देखा कि संघ बाहर के हथियार का उपयोग कुछ साधु श्रावकों ने अमुक व्यक्तियों पर किया, परन्तु उससे कुछ भी सफलता नहीं मिली और जब तक श्रमरण समुदाय में ऐक्य न होगा और गृहस्थों का अतिसंसर्ग न मिटेगा, तब तक संघ से बाहर करने की बात, बात ही रहेगी। (३) शासन-संचालन किस आधार पर ? : उक्त शीर्षक के नीचे लेखक कुछ ग्रन्थों और सूत्रों का नामोल्लेख करते हैं, जैसे 'प्राचार-दिनकर, आचार-प्रदीप, प्राचारोपदेश, गुरु-तत्त्वविनिश्चय, व्यवहार, बृहत्कल्प, महानिशीथ, निशीथ; इन ग्रन्थ-सूत्रों के नामोल्लेखों से तो ज्ञात होता है कि उन्होंने इन ग्रन्थ सूत्रों में से एक को भी पढ़ा या तो सुना तक नहीं है। मैंने इन सभी को पढ़ा है और महानिशीथ, निशीथ को दो-दो बार पढ़ा है। अन्तिम चार सूत्रों के नोट तक मैंने लिये हैं। इन आठ ग्रन्थों में से एक में भी न संघ के बंधारण की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003121
Book TitleNibandh Nichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1965
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size13 MB
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