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________________ 農魔術術術術術你徐術術術術來廉价秦 हम को किस बात की जरूरत है ? 1. शास्त्रकारों का फरमान है कि देश काल को मान देने वाले मनुष्य अपनी, अपने धर्म की और अपनी जाति की उन्नति आसानी से कर सकते हैं। 2. इस से उलटा बर्ताव करने वाले तन, मन और धन का भोग देते हुए भी अपना इष्ट कार्य साध नहीं सकते, और केवल हानि उठाते हैं। 3. ऐसा भी कोई समय था, जिस में प्रतिष्ठा, अठाहिउत्सव, विवाह और औसर आदि की धूमधामों में लाखों रूपया खर्च कर लोग अपनी धार्मिक और जातीय उन्नति करते थे। 4. हाल का समय ऐसा है कि लायब्रेरी, पाठशाला, बोर्डिंग, कॉलेज आदि विद्योनति के साधनों से ही धर्म और जाति की विशेष उन्नति हो सकती है। 5. इस के लिए हम जनभाइयों से-विशेषतया मारवाड़ी जैनों से प्रार्थना करते हैं कि वे अपनी क्षीण होती हुई जाति और धर्म की तर्फ एक बार दृष्टि करें और सोचें। कि इस वक्त हम को किस बात की खास जरूरत है। / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003120
Book TitleTristutik Mat Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherLakshmichandra Amichandra Porwal Gudabalotara
Publication Year1917
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size7 MB
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