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का दान देने से शुद्धि होती है, और ऊँट को मार दे तो कृष्णा गौ का दान देने से मारने वाला शुद्ध होता है।
मण्डूकनकुलकाकठिम्बदहरमूषिकश्वहिंसासु च ।। २१ ।। (भाष्यांश)-एतेषां समुदायवधे शूद्रहत्याव्रतं चरेत् इति द्रष्टव्यम्।
मार्जारनकुलो हत्वा, चापं मण्डूकमेव च । श्वागोधोलूककाकांश्व, शूद्रहत्यात्रतं चरेत् ॥१॥ हत्वा हंसं वलाकं च, बकं वहिणमेव च । वानरं श्येनभासौ च, स्पर्शयेद् ब्राह्मणाय गाम् ॥२॥ हंसानां च मयूराणां, जलस्थानां च पक्षिणाम् । कपीनां श्येनभासानां, वधे दद्यात् पणं द्विजः ॥३॥ गर्दभाजाविकानां तु, दण्डःस्यात्पश्चमाषकः । माषिकस्तु भवेद् दण्डः, श्वशूकर निपातने ॥४॥ सर्प लोहदण्डः ॥२७॥
अर्थः -मेंढक, नौवला, कौआ, ठिम्ब, छोटा चूहा, इन की सामुदायिक हिंसा में शूद्रहत्या के प्रायश्चित्त का व्रत करना चाहिए।
बिल्ली, नौवला, चाष पती, मेंढक, कुत्ता, गोह, उलूक, कौश्रा इन को मार दे तो शूद्रहत्या का प्रायश्चित्त करे।
हंस, वलाका, बगुला, मोर, बन्दर, वाज, भास पक्षी, इनकी हत्या कर देने पर ब्राह्मण को गोदान करने से शुद्धि होती है।
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