________________
उत्पन्न प्ररोह पर लगे हुए गहरे नील मयूर पंख जैसे-वारह पत्तों से छत्रातिछत्र वाली, राक्षसों का नाश करने वाली, कन्द मूल से उत्पन्न होने वाली, जरामरण का निवारण करने वाली दोनों कापो. तिकायें जाननी चाहिए।
अजा शब्द सामान्य रूप से बकरी इस वाच्यार्थ को ही व्यक्त करता है, फिर भी अजा नामक एक औषधि भी होती है। जिसका वर्णन नीचे अनुसार हैअजा महौषधिज्ञेया शङ्ख-कुन्देन्दुपाण्डुरा ।।५६८॥
( कल्पद्रुमकोशः) अर्थ-जो शंख कुन्द पुष्प और चन्द्र के समान श्वेतवर्ण की हो, अजा नामक महौषधि जाननी चाहिए ।
वर्ण के ऊपर से पदार्थों के नाम वनस्पति फलों के ही नहीं अन्य अनेक पदार्थों के नाम वों के ऊपर से प्रसिद्ध हो जाते हैं । जैसे
रुधिरं कुंकुमेऽपि च । अर्थात्-केशर का भी नाम रुधिर पडना ।
ताम्र शुल्वे शुल्बनिभे च ।
अर्थ--ताम्र नाम ताम्बे के अतिरिक्त ताम्रवर्ण के प्रत्येक पदार्थ का होना।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org