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________________ परिशिष्ट २ २९३ हैं क्योंकि पहले जैन भारती ही 'विवरण पत्रिका' के रूप में प्रकाशित होती थी। जिन लेखों के आगे तारीख का उल्लेख नहीं है, वे मासिक पत्रिका से सम्बन्धित हैं क्योंकि सन् ४७ से ५२ तक जैन भारती मासिक पत्रिका के रूप में प्रकाशित होती थी तथा सन् ६५ से ७१ में मासिक तथा साप्ताहिक दोनों रूप से जैन भारती का प्रकाशन होता रहा। अणुव्रत के साथ जनपथ के लेखों का समाहार है क्योंकि अणुव्रत अपने पूर्वरूप में जनपथ के रूप में प्रकाशित होता था। अणुव्रत पाक्षिक पत्र है, प्रेक्षाध्यान, युवादृष्टि मासिक तथा तुलसीप्रज्ञा त्रैमासिक पत्रिका है।) जैन भारती अखंड के प्रतिपादन की पद्धति २३ जुलाई ७२ अचौर्य की दिशा में प्रयाण २१ नव० ७१ अजीव पदार्थ २ जुलाई ५३ अज्ञानता और अहं ही अशांति का कारण २ जन० ६६ अज्ञान : दुःख की खान १७ जन० ७१ अणुअस्त्रों की होड : मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा १९ मई ५७ अणुव्रत जून ५१/अक्टू० ६९ अणुव्रत' १९ दिस० ६५ अणुव्रत' : अध्यात्म पक्ष दृढ़ करने का आंदोलन मई ५९ अणुव्रत आंदोलन ११ अप्रैल ५६ अणुव्रत आंदोलन : आत्मसंयम और आत्मसुधार का आंदोलन १० मई ५९ अणुव्रत आंदोलन : आज के युग में मानव बनाने की मशीन १८ जन० ५६ भणुव्रत आंदोलन : एक आचरणमूलक मानव धर्म १० मई ५९ अणुव्रत आंदोलन चरित्र विकास और शांति का आंदोलन है। ४ दिस० ५५ १. १९५२ सरदारशहर ४. अणुव्रत विचार परिषद्, २. सोलहवां वार्षिक अणुव्रत अधिवेशन सरदारशहर ३. ११-३-५६ अजमेर ५. २०-११-५५ उज्जैन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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