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________________ परिशिष्ट १ स्वास्थ्य के सूत्र मुखड़ा हम जागरूक रहें हम निःशल्य बनें हम पर्याय को पहचानें हम भाव-पुजारी हैं हम यंत्र हैं या स्वतंत्र ? हम शरीर को छोड़ दें, धर्म-शासन को नहीं हमारा कर्तव्य हमारा धर्मसंघ और मर्यादाएं हमारा सिद्धान्त हमारी नीति हरिजनों का मन्दिर-प्रवेश २८४ २१५ ६३ कुहासे हाजरी हिंसा और अहिंसा हिंसा और अहिंसा का द्वन्द्व हिंसा और अहिंसा के प्रकम्पन हिंसा और अहिंसा को समझे हिंसा और परिग्रह हिंसा का कारण : अभाव और अतिभाव हिंसा का नया रूप हिंसा का प्रतिकार अहिंसा ही है हिंसा का स्रोत कहां? हिंसा की समस्या सुलझती है संयम से हिंसा के नये-नये रूप हिंसा भय लाती है हिन्दी का आत्मालोचन हिंदू : नया चिंतन, नयी परिभाषा हे प्रभो ! यह तेरापंथ होली : एक सामाजिक पर्व हृदय-परिवर्तन हृदय-परिवर्तन की आवश्यकता भोर १२९ प्रवचन ४ १३८ प्रवचन ८ प्रवचन ५ ११२ मुखड़ा दायित्व ३९ घर वि वीथी प्रवचन ११ प्रवचन ९ ५९ मंजिल १ ११८ गृहस्थ मुक्तिपथ २३/२१ प्रवचन १० २२२ आलोक में शान्ति के ४९/३६ बैसाखिया प्रज्ञापर्व प्रवचन ५ अणु गति बैसाखियां प्रज्ञापर्व बैसाखियां लघुता लघुता घर अतीत २०७ मेरा धर्म कुहासे मंजिल १ १०८ प्रवचन ५ or .» प्रवचन ११ or Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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