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________________ २७० शरीर एक नौका है शरीर और मन का संतुलन शरीर का स्वरूप शरीर के दो प्रकार शरीर को छोड़ दें, धर्मशासन को नहीं शरीर को जानें शरीर प्रेक्षा है शक्ति दोहन की कला शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् शस्त्र बनाने वाली चेतना का रूपान्तरण शस्त्र - विवेक है निःशस्त्रीकरण शाकाहारी संस्कृति पर प्रहार शान्ति आत्मा में है शांति और अहिंसा - उपक्रम शांति और क्रांति का भ्रम शांति और लोकमत शान्ति कहां है ? शांति का आधार : असंग्रह की वृत्ति शान्ति का उपाय शान्ति का निर्दिष्ट मार्ग शान्ति का पथ शान्ति का बोधपाठ शान्ति का मार्ग शान्ति का मार्ग : अपरिग्रह शान्ति का मूल शान्ति का सच्चा साधन शान्ति का सही मार्ग शान्ति का साधन शान्ति का हेतु : पर्यावरण की विशुद्धि शान्ति की ओर शान्ति की खोज शान्ति की चाह किसे है ? शान्ति के उपाय शान्ति के दो पथ Jain Education International आ• तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण मुखड़ा १५९ आलोक में ८६ मंजिल १ १८२ १७७ ६८ २०८ ११२ ४०/६१ प्रवचन ५ अतीत का प्रवचन ५ प्रेक्षा मंजिल २ / मुक्ति इसी कुहासे लघुता बैसाखियां प्रवचन ११ जीवन शांति के धर्म एक बैसाखियां बूंद-बूंद २ समता / उद्बो घर संभल / प्रवचन दीया घर आगे उद्बो / समता सूरज आगे प्रवचन ९ प्रेक्षा प्रवचन ११ भोर समता / उद्बो घर शान्ति के For Private & Personal Use Only २७ ४८ २१० ९८ १० ९७ २० १७९ ४२ १३६/१३८ १९१ १९९८,१८७/७८ ७२ ७४,१७३ १०६ १३६/१३४ ४८ ५ ५१ १४९ २१४ १६९ ४९/४९ २८६ २२३ www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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