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परिशिष्ट १
२६९ ___१६/१७६
व्रत और अनुशासन व्रत और अप्रमाद के संस्कार व्रत और प्रायश्चित्त व्रत और व्रती व्रत का जीवन में महत्त्व व्रत का फल व्रत का महत्त्व व्रत ग्रहण की योग्यता व्रत बंधन नहीं, कवच है व्रत साध्य नहीं, साधन व्रत ही अभय का मार्ग व्रती बनने के बाद व्रतों का प्रयोग व्रतों की भाषा और भावना व्रतों के प्रति भास्था
क्तित्व का रूपान्तरण
नैतिक/संभल आलोक में मंजिल २ ज्योति के नैतिक संभल मंजिल १ आलोक में समता/उद्बो नैतिक प्रगति की ज्योति के नैतिक आलोक में बूंद-बूंद २ मनहंसा
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शक्ति का विस्फोट शक्ति का सदुपयोग शक्ति का सदुपयोग हो शक्ति की पहचान शक्ति की स्पर्धा में शान्ति होगी शक्ति के उपयोग की दिशा शक्तिमय जीवन जीने की कला शक्तिशाली कौन : कर्म या संकल्प ? शक्ति संगोपन की साधना शत्रु-विजय शब्द की उत्पत्ति शब्दों के संसार में शब्दों में उलझन क्यों ? शब्दों में उलझन न हो
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समता/उद्बो सोचो ! ३ जागो! मंजिल २ प्रगति की बैसाखियां सोचो! ३ जब जागे खोए प्रवचन ९ प्रवचन ९ अतीत बूंद-बूंद १ बंद-बंद १
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