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बत्तीस
इस विचारयात्रा में मुनिश्री मधुकरजी, श्री कन्हैयालालजी फूलफगर तथा डॉ० आनन्द प्रकाश त्रिपाठी आदि के अमूल्य सुझाव भी मेरे लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रहे हैं। नियोजिका समणी मधुरप्रज्ञाजी, सहयोगी समणीवृद एवं समस्त समणी परिवार के प्रति भी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती हूं।
महामहिम राष्ट्रपति 'शंकरदयाल शर्मा ने अपना संदेश प्रेषित करके इस ग्रंथ की मूल्यवत्ता स्थापित की है । हिन्दी जगत् के ख्यातनामा साहित्यकार एवं संपादक डा० राजेन्द्र अवस्थी ने बहुत कम समय में इस पुस्तक पर पूर्व पीठिका लिखने का महनीय कार्य किया है। मैं उनके प्रति हृदय से मंगल कामना करती हूं।
अंत में गुरुदेव का कर्तृत्व उन्हीं के कर-कमलों में अर्पित करते हुए मुझे असीम प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।
समणी कुसुमप्रज्ञा
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