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________________ X अध्यात्म २५६ १२२ MOWor m २०१ १८३ १८६ ० २४ १७७ आत्मदर्शन की भूमिका प्रवचन ९ जो एग जाणइ सो सव्वं जाणइ सोचो ! १ विजेता कौन ?' मंजिल सुख-प्राप्ति का मार्ग : अध्यात्म सोचो ! ३ जोड़ते चलो और कोमल रहो' सोचो ! ३ जीवन निर्माण के मूत्र सोचो ! ३ सुख-दुःख अपना अपना प्रवचन १० आध्यात्मिक एवं सामाजिक चेतना प्रवचन १० सच्ची शांति का साधन संभल बहिर्मुखी चेतना : अशांति, अन्तर्मुखी चेतना : शांति प्रेक्षा साम्यवाद और अध्यात्म अणु गति पर्यटकों का आकर्षण : अध्यात्म अणु गति अध्यात्म की खोज आगे अध्यात्म और व्यवहार अणु गति कौन करता है कल का भरोसा ? मनहंसा स्वयं की उपासना आगे कल्पना का महल सूरज अध्यात्म की उपासना सूरज आपद्धर्म कैसा?१४ सूरज अध्यात्म का विकास हो सूरज आत्ममंथन'६ सूरज सच्ची मानवता संभल ११ ~ ० ० ११० ११५ ११७ १३१ १. १९-९-५३ जोधपुर। ८. १-४-७९ दिल्ली। २. ४-९-७७ लाडनूं । ९. १४-२-६६ भादरा। ३. १७-५-७७ छापर। १०. २३-२-६६ नोहर । ४. २-२-७८ सुजानगढ़ । ११. २६-२-६६ सिरसा। ५. २९-१-७८ सुजानगढ़ । १२. १८-२-५५ खण्डाला। ६. १५-५-७८ लाडन, अध्यापकों के १३. ९-१-५५ मुलुंद । अध्यात्मयोग एवं नैतिक शिक्षा १४. ११-५-५५ जलगांव । प्रशिक्षण शिविर। १५. १५-५-५५ जलगांव । ७. ३१-३-७९ दिल्ली । १६. १६-५-५५ जलगांव। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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