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गद्य साहित्य : पर्यालोचन और मूल्यांकन
२६५ __अभिनंदन ग्रंथों की परंपरा में यह ग्रंथ अपना विशिष्ट स्थान रखता है। क्योंकि इतना जीवन्त एवं मुखर कर्तृत्व बहुत कम अभिनंदन ग्रंथों में देखने को मिलता है।
आचार्यश्री तुलसी षष्टि पूर्ति अभिनंदन पत्रिका
आचार्य तुलसी के गौरवशाली जीवन के ६० वें बसन्त के प्रवेश पर देश ने षष्टिपूर्ति अभिनंदन का कार्यक्रम बड़े उल्लास के साथ मनाया। इस अवसर पर एक पुस्तकाकार स्मारिका का प्रकाशन किया गया, जिसमें देश के मूर्धन्य साहित्यकार, राजनेता तथा धर्मगुरुओं के लेखों का संकलन है, जो उन्होंने आचार्य तुलसी के व्यक्तित्व को लक्ष्य करके लिखे हैं। इस पत्रिका के संपादक मण्डल में भी देश के मूर्धन्य साहित्यकारों का नाम है । जैसे -... हरिवंशराय बच्चन, डॉ. विजयेन्द्र स्नातक, राजेन्द्र अवस्थी, अक्षयकुमार जैन, प्रभाकर माचवे, जैनेन्द्रकुमारजी, श्री रतनलाल जोशी तथा डॉ० शिवमंगलसिंह 'सुमन' आदि ।
__ यह अभिनंदन ग्रंथ चार भागों में विभक्त है। प्रथम में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि अनेक गणमान्य व्यक्तियों के शुभकामना संदेश हैं। दूसरे में विभिन्न विद्वानों ने अपनी लेखनी से उनके व्यक्तित्व एवं विचारों को प्रस्तुति दी है। तीसरा खंड 'प्रश्न हमारे : उत्तर आचार्यश्री के' नाम से है । इसमें अनेक विशिष्ट व्यक्तियों से हई वार्ताओं का संकलन है तथा चौथे परिशिष्ट 'भारतदर्शन' में उनकी यात्राओं का सजीव चित्रण है, जो साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी द्वारा लिखा गया है।
___ सम्पूर्ण पत्रिका आचार्यश्री के व्यापक एवं विराट व्यक्तित्व को प्रस्तुति देती है। साथ ही उनके यशस्वी कर्तृत्व की रेखाएं भी इसमें खचित
इस ग्रंथ का समर्पण तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम फखरुद्दीन अली अहमद के द्वारा नई दिल्ली, अणुव्रत विहार में किया गया ।
अणुविभा यह अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं अहिंसा की प्रतिष्ठा करने के उद्देश्य से निकाली गयी महत्त्वपूर्ण स्मारिका है। इसमें आचार्य तुलसी के अहिंसक व्यक्तित्व, अहिंसक कार्यक्रम एवं उनके अहिंसा सम्बन्धी विचारों की प्रस्तुति है । साथ ही उनके सान्निध्य में हुए दो अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा सम्मेलनों का संक्षिप्त विवरण तथा अन्य विद्वानों के लेखों का समाहार भी है। अनेक ऐतिहासिक चित्रों से युक्त २०० पृष्ठों की यह स्मारिका अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्यों को अपने भीतर समेटे हुए है।
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