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________________ गद्य साहित्य : पर्यालोचन और मूल्यांकन २६३ आचार्य तुलसी पदयात्रा-मान-चित्रावली धर्मचंदजी संचेती (सरदारशहर) द्वारा अत्यन्त श्रमपूर्वक आचार्यश्री की पदयात्रा को मानचित्र (नक्शा) के द्वारा दरसाया गया है। इसमें सन् १९८५ तक की हुई यात्राओं का संकेत है। यद्यपि इस ग्रन्थ को यात्रावृत्त नहीं कहा जा सकता पर आचार्यश्री के यात्रापथ को दरसाने वाला यह ग्रंथ ऐतिहासिक दृष्टि से संग्रहणीय एवं उपयोगी है। संस्मरण-साहित्य महापुरुष के एक दिन का महत्त्व सामान्य व्यक्ति के सैकड़ों दशकों से भी अधिक होता है। उनके आसपास इतनी प्रेरणाएं बिखरी रहती हैं कि उनका प्रत्येक आचरण, प्रत्येक शब्द एक संस्मरण का रूप धारण कर लेता है। साहित्य की सबसे रोचक एवं सरस विधा संस्मरण है। यह जीवन्त प्रेरणा देती है । अत: हर वर्ग का पाठक इससे लाभान्वित होता है । वैसे तो हर व्यक्ति के जीवन में संस्मरण घटित होते हैं, पर महापुरुषों का जीवन तो संस्मरणों का अखूट खजाना ही होता है। आचार्य तुलसी के ऊर्जस्वल जीवन के प्रतिदिन के संस्मरणों का आकलन यदि सलक्ष्य किया जाता तो उनकी संख्या हजारों में होती । क्योंकि उनकी पकड़, उनकी प्रेरणा, उनके शब्द तथा घटना को विधायक भाव से देखने की विलक्षण दृष्टि-ये सब ऐसे तत्त्व हैं, जो प्रतिदिन अनेक संस्मरणों को उत्पन्न करते रहते हैं। आचार्य तुलसी के कुछ संस्मरणों का संकलन महाश्रमण मुनि मुदित कुमारजी, मुनि मधुकरजी, मुनि श्रीचंदजी, मुनि गुलावचंदजी तथा साध्वी कल्पलताजी आदि ने किया है । मुनि मधुकरजी की अभी तक कोई स्वतंत्र पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई है पर जैन भारती में 'मेवाड़ यात्रा के मधुर संस्मरण' एवं तेरापंथ टाइम्स में 'कुछ देखा : कुछ सुना' नाम से वे सैकड़ों संस्मरणों का संकलन कर चुके हैं । इसके अतिरिक्त यात्रा-ग्रन्थों एवं जीवनवृत्तों में भी अनेक संस्मरण संकलित हैं । प्रकाशित संस्मरणों की अपेक्षा अभी अप्रकाशित संस्मरणों की संख्या अधिक है, इतना होने पर भी यह बात निःसंकोच कही जा सकती है कि यदि सलक्ष्य जागरूकता के साथ इस महापुरुष के जीवन से जुड़े संस्मरणों को कलम की नोक से उतारा जाता तो भावी पीढ़ी को एक नयी रोशनी मिलती । संस्मरण साहित्य के अन्तर्गत निम्न पुस्तकें रखी जा सकती हैं १. रश्मियां-- मुनि श्रीचंद 'कमल' २. बोलते चित्र-मुनि गुलाबचंद ३. आचार्य श्री तुलसी : अपनी ही छाया में --मुनि सुखलाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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